Pyramid ka Rahasya-पिरामिड का रहस्य

 दोस्तों, धरती पर प्राचीन काल में से बनाए गए कुछ ही ऐसे स्ट्रक्चर मौजूद है, जो आज भी मॉडर्न साइंस के लिए एक रहस्य बने हुए हैं और बात जब दुनिया के सबसे रहस्यमई स्ट्रक्चर की हो, तो ऐसे में मिस्र के पिरामिड का नाम इस लिस्ट में सबसे ऊपर आता है। आज से लगभग 4500 साल पहले बनाए गए ये पिरामिड आज भी अपने जगह पर सही सलामत खड़े हुए हैं। जबकि दुनिया के दूसरे स्ट्रक्चर जो कि इन पिरामिडों के काफी समय बाद बनाए गए थे, आज वो पूरी तरह खाक में मिल चुके हैं। मिस्र के गीजा शहर में मौजूद ये पिरामिड अपने आप में ना जाने कितने रहस्य को छुपाए हुए हैं? आज के इस आर्टिकल में हम इन्हीं पिरामिड से जुड़े कुछ अनसुलझे रहस्य के बारे में जानने वाले हैं।

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तो चलिए जानते है मिस्र के पिरिमोडो के रहस्यों के बारे में।

दोस्तों इन विशाल आकारों के पिरामिडों को देखकर, लोगों के दिमाग में सबसे पहला सवाल यह आता है कि आखिर इनको बनाया क्यों गया था? दरअसल, हजारों साल पहले प्राचीन मिस्र के अंदर वहां के राजा और रानियों के कब्रों को सुरक्षित रखने के लिए यह विशाल पिरामिड बनाए जाते थे। यही वजह है कि आज मिस्र के अंदर कुल 138 पिरामिड खोजे जा चुके हैं। दोस्तों, मिस्र के अंदर बहुत सारे अलग-अलग पिरामिड मौजूद है, लेकिन उन सब में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध गीजा शहर में मौजूद इन तीनों पिरामिडों को माना जाता है। इन तीनों में एक पिरामिड सबसे ज्यादा ऊंचा और सबसे ज्यादा पुराना है और उसी को दुनिया में गीज़ा के महान पिरामिड के नाम से जाना जाता है (The Great Pyramid of Giza)
 इसके अलावा कुछ इस पिरामिड को खुफू का पिरामिड भी कह कर बुलाते हैं, क्योंकि यह पिरामिड मिस्र के चौथे राजवंश के राजा खुफु के द्वारा बनवाया गया था। दोस्तों, गीजा का यह महान पिरामिड दुनिया का सबसे खास पिरामिड माना जाता है क्योंकि एक समय यह दुनिया के सात प्राचीन अजूबों में से एक हुआ करता था। मिस्र के वैज्ञानिक बताते हैं कि 481 फीट ऊंचाई वाले इस पिरामिड को बनाने में लगभग 20 साल का समय लगा था। अपने समय में यह इंसानों द्वारा बनाया गया सबसे ऊंचा स्ट्रक्चर कहलाता था और यह रिकॉर्ड इस पिरामिड के नाम लगभग 3800 सौ सालों तक रहा था यानी 38 सदियों तक दुनिया में कोई भी स्ट्रक्चर इतना ऊंचा नहीं बनाया जा सका की वो ऊंचाई के मामले में इस पिरामिड का रिकॉर्ड तोड़ सके। हालांकि, 1311 AD मे इंग्लैंड के अंदर जब Lincoln church बनकर तैयार हुआ, तब जाकर पिरामिड की ऊंचाई का यह रिकॉर्ड टूट पाया था। दोस्तों, Lincoln church की ऊंचाई 482 फिट रखी गई थी, जो कि इस पिरामिड की ऊंचाई से 1 फुट ज्यादा थी। आज के समय के वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया है कि गीजा के इस महान पिरामिड का वजन लगभग 60 लाख टन के बराबर है। आपकी अंदाजा के लिए बता दें कि इस समय दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा का वजन सिर्फ 5 लाख टन है। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह पिरामिड अपने आप में कितना बड़ा स्ट्रक्चर है। बताया जाता है के इस पिरामिड को बनाने में 23 लाख चुना पत्थर और ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है। जिसमे बड़े पत्थरों का वजन 80 टन से भी ज्यादा है। वैज्ञानिक और रिसर्चर्स को हैरानी इस बात की होती है की उस जमाने में इतना भारी पत्थर किस तरह से उठाए गए होंगे और न सिर्फ उठाए बल्कि इन भारी पत्थरों से एक बेहद बड़ा और ऊंचा पिरामिड भी तैयार कर दिया। 4500 सौ साल पहले के उस दौर में ना ही कोई खास टेक्नोलॉजी थी और ना ही विज्ञान ने तब कोई तरक्की की थी। दोस्तों, आज के औजार और वाहन तो दूर की बात उस समय तो लोहे का खोज भी नही हुआ था और धातु के नाम पर तब दुनिया में सिर्फ तांबा ही हुआ करता था। लेकिन इसके बावजूद भी मिस्र के उन लोगों के द्वारा ऐसा कोई स्ट्रक्चर तैयार करना वाकई आज किसी अजूबे के जैसा लगता है। इन लोगों ने यह पिरामिड किस तरह से तैयार किया था? इसके बारे में दुनिया के अलग अलग लोग अपनी अलग अलग theories बताते हैं। लेकिन आज तक कोई भी विज्ञानिक इस बात का पक्का पता नहीं लगा पाया कि आखिर इन लोगों ने यह पिरामिड किस तरह से बनाए थे?

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दोस्तों, प्राचीन समय में मिस्र के लोग ऐसा मानते थे के मरने के बाद इंसान को एक नई जिंदगी मिलती है, इसलिए वे लोग अपने राजाओं की मौत होने पर उनके शरीरों को इन पिरामिडों के अंदर दफन कर देते थे। बताया जाता है कि राजाओं के इन कब्रों में उनके शरीर के साथ-साथ जरूरत की सभी चीजें और खजाने को भी दफन किया जाता था और दोस्तों इतना ही नहीं राजाओं के मृत शरीर को सुरक्षित रखने के लिए उनको दफन करने से पहले उनका Mummy बनाया जाता था, क्योंकि उस समय मिस्र में ऐसा माना जाता था कि शरीर को Mummy बनाकर दफनाने से उस इंसान के लिए अपने अगले जन्म में जाना आसान हो जाता है। दरअसल, प्राचीन मिस्र के लोग Mummy बनाने के माहिर माने जाते थे और इनका Mummy बनाने का यह प्रक्रिया बड़ा ही सरल और असरदार होता था। यह लोग मृत शरीर को Mummy बनाने के लिए सबसे पहले उसके पूरे जिस्म पर एक खास तरह का लेप लगाते थे और फिर शरीर पर विशेष प्रकार की पट्टियां लपेट कर उसको एक ताबूत में बंद करके दफन कर देते थे। अभी हाल ही के कुछ सालों में हुई खोज में यह बात सामने आई है के मिश्र के यह लोग सिर्फ इंसान का ही नहीं जानवरों का भी ममीकरण करते थे। दरअसल, खोजकर्ताओं के हाथ कुछ ऐसे सबूत लगे हैं जिन से यह बात साबित होती है कि मिस्र के लोगों ने इंसानों के अलावा जानवरों का भी मम्मीकरण किया था। हालांकि, यह सब उन लोगों ने किस लिए किया यह बात अभी साफ नहीं हो पाई है। लेकिन कुछ खोज कर्ताओं का यह अनुमान है कि शायद राजाओं के कुछ खास पालतू जानवरों का भी मम्मीकारण किया जाता होगा। दोस्तों, अभी हमने बात की गीजा के सबसे बड़े पिरामिड के बारे में जिसको राजा खुफु ने अपने लिए बनवाया था। चलिए, अब हम आपको गीजा के दूसरे पिरामिड के बारे में बताते है जोकि Great Pyramid of Giza के बगल में ही मौजूद है।

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 इस दूसरे पिरामिड को राजा खुफु के बेटे खाफरे ने अपनी कब्र के लिए बनवाया था, इसलिए दुनिया भर में इसको खाफरे के पिरामिड के नाम से जाना जाता है। इस पिरामिड के ठीक सामने एक अजीब किस्म की मूर्ति बनी हुई है, जो असल में इसी पिरामिड का हिस्सा है। इस अजीब और रहस्यमई मूर्ति का धड़ शेर के जैसा है, जबकि इसका मुंह किसी इंसान के जैसा लगता है। आज दुनिया भर में यह मूर्ति sphinx के नाम से जानी जाती है और इस मूर्ति को पिरामिड के सामने कुछ इस तरह से लगाया गया हैं, जैसे ये पिरामिड की पहरेदारी कर रही हो। Sphinx मूर्ति चेहरे के बारे में ये बताया जाता है कि इसको राजा खुफु के बेटे राजा खाफरे के शक्ल जैसा बनाया गया है यानी आज हम इस मूर्ति के चेहरे से यह अंदाजा लगा सकते हैं की राजा खफरे अपने समय में कैसे दिखते होंगे और दोस्तों ये वाकई में एक कमाल की बात है।

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Third pyramid of Giza

दोस्तों, गीजा का यह तीसरा पिरामिड आकार में सबसे छोटा है और इसको "Pyramid of Menkaure" (मेंकायर) के नाम से जाना जाता है। इस पिरामिड को भी बाकी के दूसरे पिरामिडों की तरह मिस्र के एक राजा Menkaure के कब्र के रूप में बनाया गया था और इसीलिए इसका नाम Menkaure का पिरामिड रखा गया है।Archologist बताते हैं कि राजा Menkaure असल में राजा खाफरे का ही उतराधिकारी था। वैसे देखा जाए तो ये तीनों ही पिरामिड आपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं है। खास तौर से गीजा का महान पिरामिड, आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना हुआ है। शुरुआत में, जैसा कि मैंने बताया था कि गीज़ा के महान पिरामिड को 481 फीट ऊंचा बनाया गया था। लेकिन आज इसकी ऊंचाई 481 फीट से काफी कम हो चुकी है। दरअसल, पिछले 4500 सालों से आंधी, तूफान , बारिस और हवा झेल रहा यह पिरामिड ऊपर की तरफ से अपनी लंबाई 26 फिट खो चुका है और यह लंबाई कम होने के बाद आज इस पिरामिड की कुल लंबाई 455 फीट रह गई है। वैसे यह बात आज के वैज्ञानिकों को भी परेशान करती है की उस समय मिस्र के लोगों ने बिना किसी मशीनरी के इतने वजनदार पत्थरों को 481 फीट की ऊंचाई पर आखिर किस तरह से पहुंचाया होगा। आपको जानकर काफी हैरानी होगी आज की advance technology होने के बावजूद भी हम लोग गीजा के महान पिरामिड के जैसा कोई दूसरा पिरामिड नहीं बना सकते और यह बात दुनिया के कई बड़े engineer और architect खुद कबूल कर चुके है। सोचिए यह पिरामिड आज के एडवांस टेक्नोलॉजी से भी नहीं बन सकता तो फिर मिस्र के लोगों का दिमाग कितना तेज रहा होगा? जिन्होंने यह पिरामिड 4500 साल पहले बिना किसी एडवांस टेक्नोलॉजी के मदद से ही बना दिया था। 4500 साल से खड़े इस पिरामिड को गिराने की कोशिश सिर्फ प्रकृति ही नहीं इंसान भी कर चुके हैं।
12वीं सदी के अंत में मिस्र के सुलतान अल-अजीज ने गीजा के इन पिरामिडों को गिराने की कोशिश की थी । उसने मिस्र के इन पिरामिडों को गिराने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन फिर भी वह इनको गिराने में सफल नहीं हो पाया। आज Menkaure के पिरामिड मे जो बड़ा सा छेद नजर आता है, वो छेद अल-अजीज के फौज ने ही बनाया था। गीजा के महान पिरामिडों की एक खास बात ये भी है की इसके अंदर का तापमान हमेशा 20 डिग्री ही रहता है।पिरामिड के बाहर चाहे जितनी ही तेज गर्मी या सर्दी क्यों न पड़े लेकिन पिरामिड के अंदर का तापमान हमेशा एक जैसा ही रहता है और दोस्तों ये बात भी अपने आप में रहस्य से कम नही है।
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