Moral Story Topics:-
1.समय का सदुपयोग
2.मेहनत बड़ी या अक्ल
3.ईमानदारी का इनाम
4.रहीम और गुलाम जिन्न
5.खजाने की खोज
1.Moral story - समय का सदुपयोग
समय का सदुपयोग जो करता है उसी व्यक्ति को समय के अच्छे परिणाम मिलते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ जब सोनू और शिवानी के वार्षिक परीक्षा आने वाले थे। शिवानी बहुत ही मेहनती और समय का सदुपयोग करने वाली बच्ची थी जबकि उसका भाई सोनू बहुत ही लापरवाह और शैतान बच्चा था। हर काम को कल पर डालता रहता था। सोनू और शिवानी के मम्मी पापा हमेशा सोनू को शिवानी के उदाहरण देकर समझते रहतेेे थे, लेकिन सोनू था कि हमेशा आज के काम को कल पर टालकर खेलने के लिए निकल जाया करता था। सोनू की लापरवाही दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी और आखिरकार परीक्षा के दिन भी नजदीक आ ही गए। सोनू और शिवानी के परीक्षा में अब केवल 2 दिन बाकी रह गए थे। सोनू के पापा को हमेशा सोनू की चिंता लगी रहती थी। सोनू के पापा ने सोनू को एक बार फिर शिवानी के उदाहरण देते हुए कहते हैं कि सोनू बेटा तुम हमेशा आज के काम को कल पर डाल देते हो पढ़ाई को कल पर नहीं डालते तुम भी शिवानी की तरह सभी पाठ को समय से पढ़ लेना। सोनू जवाब देते हुए कहता हैं कि अभी परीक्षा में 2 दिन है पापा, मैं झट से पढ़ लूंगा और यह कह कर सोनू खेलने के लिए चला जाता है।
सोनू हमेशा शिवानी को बहकाता रहता था कि अभी परीक्षा में समय है बाद में पढ़ाई कर लेंगे लेकिन शिवानी उसकी बातों को ना सुनकर हमेशा अपनी पढ़ाई करती रहती थी। कुछ देर बाद शिवानी ने देखा कि सुहाना मौसम धीरे-धीरे आंधी तूफान का रूप ले रहा है और काले बादल उमड़ रहे हैं। मानो बारिश कभी भी हो सकती है। बारिश का मौसम देख शिवानी को अपनी पढ़ाई की चिंता होने लगती है कि अगर बारिश आ गई तो उसका पाठ कैसे पूरा होगा क्योंकि बारिशों में अक्सर घर की बिजली चली जाती है। शिवानी सोनू को आवाज देते हुए कहती है की सोनू आ कर अपना पाठ पूरा कर लो वरना परीक्षा में क्या लिखोगे सोनू हमेशा की तरह पढ़ाई को बाद में टालकर खेलने में लग जाता है। सोनू देर शाम तक खेलता ही रहा लेकिन उसकी चिंता शुरू तब हुई जब अचानक से ही बारिश शुरु हो गई। सोनू पूरी तरह घबरा गया और घर आकर उसने देखा कि घर पर ही नहीं बल्कि पूरे गांव में बिजली नहीं है। यह देखकर सोनू जोर-जोर से रोने लगा क्योंकि अगले ही दिन उसकी परीक्षा थी और उसने एक पाठ भी नहीं पढ़ा था। सोनू को अब समझ आ गया था कि उसकी लापरवाही के कारण उसके पास पढ़ने का समय अब नहीं बचा है। सोनू को सभी ने समझाया लेकिन सोनू ने किसी की बात नहीं सुनी और अपनी पढ़ाई को कल पर टालता गया।
सिख:- इससे हमें यह सिख मिलती है की हमे हर काम को समय पर करना चाहिए। कोई भी काम को कल पर नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि;
**जो समय का करे सम्मान;
भविष्य में वो कहलाए महान**।
2. Moral story:- मेहनत बड़ी या अक्ल?
अमित और अभिनव नाम के दो दोस्त थे। दोनों की दोस्ती बड़ी ही पक्की थी। पढ़ाई खत्म होने के बाद दोनों की एक ही जगह नौकरी भी लग गई। नौकरी लग जाने के बाद दोनों एक दूसरे से एक कैंटीन में बैठकर बात करते हैं। अमित, अभिनव से कहता है की सालों की मेहनत के बाद आखिर हमें नौकरी लग ही गई। हम यहां भी बहुत मेहनत से काम करेंगे।अमित हंसते हुए कहता है हा बिल्कुल और कुछ ही सालों में हमे प्रमोशन भी मिल जायेगा। तभी अमित अभिनव से कहता है। हां, प्रमोशन तो मिलना ही चाहिए। हम जो इतनी मेहनत करते हैं हमारे बॉस हमे चाह कर भी मना नही कर पाएंगे।
दोनों खाना खाने के बाद अपने अपनेे काम पर लग जाते है। काम करते करते अब उन्हें एक साल हो चुका होता है। अब उनके प्रमोशन का भी समय आ चुका होता है। जिसका दोनों बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
इतने में ही उन दोनों के बॉस आ जाते हैं और प्रोमोशन में सिर्फ अभिनव का नाम देकर वहां से चले जाते हैं। प्रोमोशन में अपना नाम ना सुनकर अमित को धक्का लगता है और वह बहुत नाराज हो जाता है। तभी अभिनव, अमित से कहता है कोई बात नहीं अमित ऐसा हो जाता है तूने भी बहुत मेहनत की है पर अगली बार तुझे जरूर प्रोमोशन मिलेगा। बिना कुछ कहे ही अमित वहां से चला जाता है और अपनी सीट पर बैठ कर सोचने लगता है की मैने भी साल भर मेहनत की पर सिर्फ अभिनव को ही प्रमोशन क्यों मिला मुझे क्यों नही? अमित गुस्से में अपने बॉस के पास जाकर यह नौकरी छोड़ने की बात कहता है। अमित अपने बॉस से कहता है कि सर मैं यह नौकरी नही कर सकता। मैं आज ही यह नौकरी छोड़ना चाहता हूं।अमित के बॉस उससे पूछते है क्यों अचानक तुम्हे क्या हो गया? अमित अपने बॉस से कहता है की सर मैं और अभिनव एक ही साथ यह काम करने आए थे लेकिन प्रमोशन सिर्फ अभिनव को ये तो बिलकुल गलत है सर। आप उसी को प्रमोशन देते है जो आपकी चापलूसी करे। गुस्से में अमित अपने बॉस को बहुत ऐसी गलत बातें बोल जाता है, जो उसे नही बोलने चाहिए थी। उसकी सारी बातों को उसके बॉस बहुत ध्यान से सुनते है और फिर बोलते हैं की देखो अमित मुझे पता है की तुमने बहुत मेहनत की है पर उतनी नहीं जितनी कि तुम्हें करनी चाहिए थी। फिर अमित बोलता है कि मुझे पता है, मैंने कितनी मेहनत की है मुझे बस यहां काम नहीं करना है।
इस पर अमित के बॉस बोलते हैं ठीक है मैं तुम्हें प्रमोशन भी दे दूंगा और अभिनव से अच्छी सैलरी भी पर तुम्हें उसके लिए एक काम करना होगा। अमित बॉस के उस काम को करने के लिए तैयार हो जाता है। अमित के हां करने के बाद उसके बाद उससे कहते हैं की बाजार जाकर पता करो कि वहां कौन-कौन आम बेच रहा है? थोड़ी देर बाद अमित बाजार से वापस आता है और अपने बॉस से कहता है कि सर बाजार में बस एक ही आदमी आम बेच रहा था। यह जानने के बाद अमित के बॉस उसे दोबारा बाजार जा कर आम के दाम पूछने के लिए कहते हैं। अमित दोबारा बाजार जाता है और आम के दामों को पता लगा कर वापस आता है और अपने बॉस से कहता है की बाजार आम 50 रुपए किलो मिल रहे हैं। अब बॉस ने यही काम अभिनव को दिया। बॉस अभिनव को बुलाते हैं और उसे भी बाजार भेज देते हैं। सब सुनने के बाद अभिनव बाजार में आम के दामों का पता लगाता है। पता करने के बाद अभिनव वापस आता है और अपने बॉस से कहता है की सर बाजार में एक ही आदमी है जो आमों को 50 रुपए किलो की कीमत में बेच रहा है। अगर हम उससे सारे आम ले ले तो वह हमें 40 रुपए किलो की कीमत में दे देगा। उसके पास 60 किलो आम है अगर हम उससे सारे आम 40 रुपए में खरीद कर उन्हीं कामों को 50 रुपए की कीमत से बाजार में बेचे तो हमें बहुत सारा मुनाफा होगा। अभिनव की बात सुनकर अमित बहुत ज्यादा हैरान होता है और उसे अपनी गलती का एहसास हो जाता है। उसे इस बात का एहसास होता है कि सिर्फ मेहनत करने से काम नहीं होता। हमें अपनी अकल का भी इस्तेमाल करना चाहिए। अमित नौकरी छोड़ने की बात अपने दिल से निकाल देता है और वहीं रहकर काम करने का फैसला करता है।
सिख:- तो दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की:
हमे हमेशा काम करते समय अपनी बुद्धि
का भी इस्तेमाल करना चाहिए;
जब मेहनत और बुद्धि साथ मिलते हैं
तो काम हमेशा अच्छा ही होता है।
3. Moral Story:- ईमानदारी का इनाम
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में बाबूलाल नाम का एक पेंटर रहता था। वह बहुत ईमानदार था किंतु बहुत गरीब होने के कारण वह घर घर जाकर पेंट का काम किया करता था। उसकी आमदनी बहुत कम थी बहुत मुश्किल से उसका घर चलता था। पूरा दिन मेहनत करने के बाद भी वह सिर्फ दो वक्त के रोटी ही जुटा पाता था। वह हमेशा चाहता था कि उसे कोई बड़ा काम मिले जिससे उसकी आमदनी अच्छी हो। पर वह छोटे-छोटे काम भी बड़ी लगन और ईमानदारी से करता था। एक दिन उसे गांव के जमीदार ने बुलाया और बाबूलाल को एक नांव पेंट करने के लिए कहा। नाव पेंट का काम पाकर बाबूलाल बहुत खुश हुआ। जमीदार बाबूलाल से नाव पेंट करने की कीमत पूछता है। बाबूलाल कहता है वैसे तो इस काम के 15 सौ लगते हैं बाकी आपको जो पसंद हो दे देना। जमींदार उसे अपनी नाव दिखाने नदी के पास ले जाता है। नाव देखने के बाद बाबूलाल जमींदार से थोड़ा समय मांगता है और अपने रंग का सामान लेने चला जाता है। सामान लेकर जैसे ही बाबूलाल आता है, वह नाव को रंगना शुरू कर देता है। जब बाबूलाल नाव को रंग रहा था, तो उसने देखा कि नाव में एक छेद है और सोचता है कि अगर ऐसे ही नाव को पेंट कर दूंगा तो यह नाव डूब जाएगी और फिर बाबूलाल उस छेद को भर देता है और नाम को पेंट कर देता है। फिर वह जमीदार के पास जाता है और कहता है हुजूर नाव का काम पूरा हो गया है, आप चल कर देख लीजिए। फिर वे दोनों नदी किनारे पहुंच जाते हैं। नाव को देखकर जमींदार बहुत खुश होता है और बाबूलाल से कहता है, तुम कल सुबह आकर अपना पैसा ले जाना और फिर वे दोनों अपने अपने घर चले जाते हैं।
जमीदार के परिवार वाले उसी नाव में उसी दिन नदी के उस पार घूमने के लिए जाते हैं। शाम को जमींदार का नौकर रामू जो उसकी नाव की देखरेख भी करता था छुट्टी से वापस आता है और परिवार को घर पर ना देख कर जमीदार से परिवार के बारे में पूछता है। जमीदार रामू को सारी बात बताता है। जमींदार की बात सुनकर रामू चिंता में पड़ जाता है। रामू को चिंतित देखकर जमींदार पूछता है क्या हुआ रामू यह बात सुनकर तुम चिंतित क्यों हो गए? रामू जमीदार को बताता है की उस नाव में एक छेद था। रामू की बात सुनकर जमींदार भी चिंतित हो जाता है। तभी उसके परिवार वाले पूरा दिन मौज मस्ती करके वापस आ जाते हैं। उन्हें सकुशल देखकर जमीदार चैन की सांस लेता है।
फिर अगले दिन जमींदार बाबूलाल को बुलाता है और कहता है यह लो बाबूलाल तुम्हारा मेहनताना और कहता है तुमने बहुत बढ़िया काम किया है, मैं बहुत खुश हूं। बाबूलाल जब पैसे लेकर गिनता है तो वह हैरान हो जाता है क्योंकि वह पैसे ज्यादा थे। वह जमीदार से कहता है, हुजूर आपने मुझे गलती से ज्यादा पैसे दे दिए हैं। जमीदार बोलता है नहीं बाबूलाल ये पैसे मैंने तुम्हें गलती से नहीं दिए हैं। यह तुम्हारी मेहनत का ही पैसा है। इतने पर बाबूलाल कहता है लेकिन हुजूर हमारे बीच तो 15 सौ की बात हुई थी, यह तो 6 हजार है, तो फिर यह मेरी मेहनत का कैसे हुआ? फिर जमीदार बाबूलाल को समझाते हुए कहता है, तुमने बहुत बड़ा काम किया है। तुमने उस नाव के छेद को भर दिया, जिसके बारे में मुझे पता भी नहीं था। अगर तुम चाहते तो उसे ऐसे भी छोड़ सकते थे या तुम उसके लिए अधिक पैसे भी मांग सकते थे, पर तुमने ऐसा बिल्कुल नहीं किया। जिसकी वजह से मेरे परिवार वाले सुरक्षित उस नाव की सवारी कर सकें। अगर तुम उस छेद को ना भरते तो मेरे परिवार वाले डूब भी सकते थे। आज तुम्हारी वजह से मेरे परिवार वाले सुरक्षित है इसलिए यह पैसे तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी के हैं। बाबूलाल, जमींदर से कहता है कि हुजूर इस छेद को भरने के इतने पैसे तो नहीं बनते। जमींदार बाबूलाल को डाटते हुए कहता है कि बस अब तुम कुछ मत कहो। यह पैसे तुम्हारे ही हैं तुम इसे रख लो। जमींदार की बात सुनकर और पैसे लेकर बाबूलाल बहुत खुश होता है और जमीदार को धन्यवाद कहकर वहां से खुशी-खुशी चला जाता है।
सीख : तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की;
हमें अपना काम हमेशा
पूरी लगन और इमानदारी
से करना चाहिए।
4. Moral story:- रहीम और गुलाम जिन्न
बहुत समय पहले एक गांव में रहीम नाम का मछुआरा एक नदी के किनारे रहता था। वैसे तो रहीम बहुत गरीब था, पर उसका एक नियम था कि वह एक दिन में केवल तीन बार ही नदी में मछली पकड़ने के लिए जाल फेंकता था। अपने इस नियम की वजह से उसे कई बार भूखा भी सोना पड़ता था। पर, रहीम कभी अपना नियम नहीं तोड़ता था। एक दिन हमेशा की तरह जाल लेकर रहीम नदी के किनारे गया और पहली बार जाल नदी में फेंक कर इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद जब उसने जाल को बाहर खींचा तो देखा की जाल में कंकड़ पत्थर के अलावा और कुछ भी नहीं था। कोई बात नहीं एक बार और जाल फेंकता हूं। इस बार जरूर कुछ मछलियां जाल में फंसेगी। ऐसा कह कर रहीम दूसरी बार जाल नदी में फेंकता है। कुछ देर बाद उसे जाल कुछ भारी महसूस होने लगा। यह सोच कर की जाल में बहुत सारी मछलियां फंसी है। ये सोच कर वह खुशी-खुशी जाल अपनी ओर खींचने लगा। जैसे-जैसे जाल उसके पास आ रहा था, उसकी खुशी बढ़ती जा रही थी। पर, जैसे ही जाल पूरी तरह निकल कर उसके सामने आया, तो उसने देखा की जाल में एक भी मछली नहीं थी, पूरा जल पत्थरों से भरा हुआ था। यह देख कर वह बहुत निराश हुआ। अगर खुदा ने चाहा तो इस बार कोई न कोई मछली जरूर फंसेगी जाल में। ऐसा कह कर उसने तीसरी और आखिरी बार जाल नदी में फेंका। कुछ देर बाद उसे फिर से जाल कुछ भारी महसूस हुआ। पर इस बार वह बिल्कुल खुश नहीं हुआ। उसने जाल धीरे-धीरे अपनी तरफ खींचना शुरू किया। जब जाल पूरी तरह पानी से बाहर आ गया, तो उसने देखा की जाल में कुछ पत्थर और पीतल के एक पुराने चिराग के अलावा और कुछ भी नहीं है। यह देखकर वह बहुत दुखी हुआ और बोला कि अगर खुदा चाहता है कि आज मैं भूखा रहूं तो यही सही।
तभी उसकी नजर जाल में पड़े पुराने चिराग पर पड़ी। उसने चिराग को अपने हाथों में लिया और देखने लगा। यह चिराग तो बहुत पुराना लगता है। इसके अंदर क्या है? ऐसा कहकर उसने जैसे ही चिराग का ढक्कन हटाया। चिराग में से धुआं निकलने लगा और फिर एक बहुत विशालकाय जिन्न उस चिराग से निकला और रहीम से कहने लगा, तुमने मुझे इस चिराग से आजाद किया है इसलिए आज से मैं तुम्हारा सेवक हूं। तुम जो कहोगे मैं वो करूंगा। बस मेरी एक शर्त है कि मैं खाली नहीं बैठ सकता इसलिए अगर तुमने मुझे कोई काम नहीं बताया और मुझे खाली बैठना पड़ा, तो मैं तुम्हें उसी वक्त मार दूंगा और हमेशा के लिए आजाद हो जाऊंगा। इतने पर रहीम जिन्न से पूछता है कि अगर मैं तुम्हें खाली बैठने नहीं दिया तो? तो जिन्न जवाब देता है कि मैं सारी जिंदगी तुम्हारा गुलाम बन कर रहूंगा। यह सुनकर रहीम मन ही मन बहुत खुश हुआ और सोचने लगा की यह जिन्न तो बहुत काम का लगता है। मैं इससे कुछ भी करवा सकता हूं। रहीम को बहुत तेज भूख लगी थी इसलिए उसने जिन्न से कहा कि मेरे लिए लजीज पकवान का इंतजाम करो। रहीम का ऐसा कहते ही जिन्न ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और अगले ही पल लजीज पकवान की बहुत बड़ी थाल रहीम के सामने हाजिर हो गई। लजीज पकवान देखते ही रहीम के मुंह में पानी आ गया लेकिन तभी जिन गुस्से से बोल पड़ा मुझे काम दो नहीं तो मैं तुम्हें मार डालूंगा। रहीम ने फिर जिन्न को आदेश दिया कि मेरे रहने के लिए एक बहुत बड़ा महल बनाओ। जिन्ने फिर अपना हाथ आगे किया और रहीम के लिए एक बहुत बड़ा महल का निर्माण कर दिया। जिन्न रहीम से फिर काम देने के लिए कहता है ।अब रहीम बहुत हैरान और परेशान हो गया। वह सोचने लगा कि अगर ऐसे ही ये बड़े-बड़े काम को चुटकियों में करने लगा तो आज नहीं तो कल मैं जरूर इसके हाथों से मारा जाऊंगा। मुझे कुछ ऐसा काम देना चाहिए, जिसमें ये उलझा रहे।
अचानक रहीम को एक तरकीब सूझी उसने जिन्न से मुस्कुराते हुए कहा अच्छा तो तुम एक काम करो तुम एक सीढ़ियां बनाओ जो महल के छत तक जाती हो। जिन्न ने फिर से अपना हाथ आगे बढ़ाया और पलक झपकते ही महल की छत तक सीढ़ियां बन गई। जिन्न फिर से रहीम को कहता है, मुझे काम दो नहीं तो मैं तुम्हें मार कर आजाद हो जाऊंगा। यह सुनकर रहीम जिन से कहते हैं अब तुम इन सीढ़ियों से ऊपर जाओ और नीचे आओ इसी तरह सीढ़ियों से उतरते चढ़ते रहो और जब तक मैं तुम्हें नहीं बुलाऊं मेरे पास मत आना। यह सुनते ही जिन्न का मुंह लटक गया। वह समझ गया कि अब वह कभी आजाद नहीं हो पाएगा। दूसरी तरफ रहीम बहुत खुश था। अब उसके पास रहने के लिए इतना बड़ा महल था और काम करवाने के लिए एक गुलाम जिन्न। रहीम को जब भी जिन्न से काम होता वह जिन्न को सीढ़ियों से बुलाकर अपना काम करवाता और काम होने के बाद उसे वापस सीढ़ियां चढ़ने और उतरने को कह देता।
सीख: तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की जिस तरह चीनी कड़वी से कड़वी चीज को मीठा कर सकती हैं उसी तरह समझदारी बड़ी से बड़ी मुसीबत को फायदे में बदल सकती है। इसलिए:
हमें हमेशा अपनी समझ
से काम लेना चाहिए।
5. Moral story: खजाने की खोज
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक रमेश नाम का किसान रहता था। वह अपनी पत्नी और 3 लड़कों के साथ रहता था। रमेश खेतों में दिन भर मेहनत करता था और उसके तीनों लड़के इधर-उधर दिन भर घूमा करते थेे। रमेश दिनभर कैसे भी काम करके अपनी पत्नी और तीनों लड़कों का पेट भरता था और उसके तीनों बेटे आलसी थे, जो कोई काम धंधा नहीं करते थे। रमेश जब कभी कबार बीमार पड़ता तो उसके तीनों बेटे उसके कामों में हाथ भी नहीं बटाते थे। रमेश इन सब बातों से बहुत दुखी रहने लगा। एक दिन वो खेत में काम करते करते थक गया और पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया। अचानक उसके मन में एक विचार आया कि मेरे बाद मेरी पत्नी और बच्चों का क्या होगा। मेरे बच्चे इस लायक भी नहीं के वे खुद से कमा कर खा सकें और अपनी और अपनी मां का पेट भर सके। उसने सोचा इन्होंने तो कभी मेहनत भी नहीं की, ये तो कभी खेत भी नहीं गए। यह दुख रमेश को अंदर से खाता जा रहा था और एक दिन अचानक रमेश बीमार पड़ गया। रमेश के काफी दिनों तक बीमार रहने के बावजूद भी उसकी पत्नी उसे बोला करती थी, बच्चे हैं धीरे-धीरे काम करने लगेंगे।
समय बिता गया पर फिर भी रमेश के लड़कों ने खेत का मुंह तक नहीं देखा। अब रमेश को लगने लगा था कि वह ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रहेगा। उसने अपनी पत्नी को बोला कि मेरे तीनों लड़कों को बुलाकर लाओ मुझे उनसे कुछ बात करनी है। उसकी पत्नी बिल्कुल वैसा ही करती है और तीनों लड़कों को बुलाकर ले आती है। रमेश अपने लड़कों से कहता है, लगता है मैं ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रहूंगा। रमेश को चिंता थी कि उसके जाने के बाद उसके बेटों का क्या होगा? रमेश अपने बेटों से कहता है, मैंने अपनी जिंदगी में जो कुछ भी कमाया है, उसको मैंने अपने खेतों में जमीन के नीचे दबा रखा है। मेरे बाद तुम लोग को उस खजाने को निकालकर आपस में बांट लेना है। यह बात सुनकर तीनों लड़के बहुत खुश हो गए। कुछ दिनों बाद रमेश की मृत्यु हो गई।
रमेश के मृत्यु के कुछ दिनों बाद उसके लड़के खेत में दबा हुआ खजाना निकालने गए और उन्होंने सुबह से शाम तक पूरा खेत खोद डाला लेकिन उन्हें कोई भी खजाना नहीं मिला। लड़के घर आकर अपनी मां से बोले मां पिताजी ने हमसे झूठ बोला था। उस खेत में कोई भी खजाना नहीं मिला। उसकी मां ने उन लड़कों को बताया कि तुम्हारे पिताजी ने जीवन भर में यह घर और खेत ही कमाया है लेकिन अब तुम लोगों ने खेत को खोद ही दिया है तो अब उसमें बीच भी बो दो। इसके बाद लड़कों ने बीज बोए और मां के कहने अनुसार उसमे पानी देते गए। कुछ समय बाद उसमे फसल पक कर तैयार हो गई। जिसे बेचकर लड़कों को अच्छा मुनाफा हुआ। पैसे लेकर वह अपनी मां के पास गए और अपनी मां से बोले मां यह तुम्हारी मेहनत का फल है। मां ने कहा तुम्हारी मेहनत ही तुम्हारा असली खजाना है। यही तुम्हारे पिताजी तुमको समझाना चाहते थे।
सीख: तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि
**हमें आलस को छोड़कर
मेहनत करनी चाहिए
मेहनती ही इंसान की असली दौलत है।**
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