🔷 चतुर भेड़ भाई!
वरली और करली नाम के तीन भेड़ भाई थे। वह लोग एक खूबसूरत से बने भूसे के घर में रहते थे। एक दिन एक बदमाश भेड़िया उनके घर के पास रहने आया। यह देख कर वे तीनों भेड़ भाई डर गए। उन तीनों में से सबसे बड़े भाई ने कहा, वह भेड़िया हम पर किसी भी वक्त हमला कर सकता है, हमें तैयार रहना होगा। यह घर हमारी रक्षा नहीं कर पाएगा। दोनों भाइयों ने अपने बड़े भाई की बात मानी इसीलिए उन्होंने एक मजबूत घर बनाने की सोची और उन्होंने जल्द ही अपना नया घर बना लिया। वह घर बेहद ही खूबसूरत और मजबूत था। एक दिन वह भेड़िया उनके घर की ओर आया ताकि वह उन तीन भेड़ियों को अपना भोजन बना सके। भेड़िए ने दरवाजा खटखटाया पर दरवाजा खुला नहीं। भेड़िया चिल्लाने लगा उसने जोर जोर से दरवाजा पीटा पर कोई असर नहीं हुआ। वह निराश होने लगा पर वह हार मानने को तैयार नहीं था। वह अब घर की छत पर चढ़ गया और घर की चिमनी से घर में घुसने की कोशिश करने लगा लेकिन तीनों भेड़ भाई बहुत ही चालक थे और उन तीनों ने उस भेड़िए से बचने की तैयारी कर रखी थी। उन्होंने भट्टी में लकड़िया डालकर आग जला कर रखी थी। वह भेड़िया चिमनी से कूदा और सीधे भट्टी में जल रहे आग में जाकर गिर पड़ा और दुम दबाकर वहां से भाग निकला। उन तीनों चतुर भेड़ों ने मिलकर उस भेड़ियों को मात दे दी।
सीख: दोस्तों, इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की अच्छी योजना बना के कोई अपने सबसे शक्तिशाली दुश्मन को भी मात दे सकता है।
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🔹बिल्ली और लोमड़ी!
एक दिन शाम को एक बिल्ली और लोमड़ी बैठकर बातें कर रहे थे, तभी उन्हें शिकारी कुत्ते दिखाई दिए। शिकारी कुत्तों को देखकर लोमड़ी ने बिल्ली से कहा, यह शिकारी कुत्ते बहुत ही बुरे हैं मुझे बिल्कुल पसंद नहीं।
बिल्ली ने जवाब दिया हां सही कहा तुमने, मुझे भी पसंद नहीं हैं।
लोमड़ी ने बिल्ली से कहा, ये कुत्ते बहुत तेज है लेकिन मुझे यकीन है के वो लोग मुझे पकड़ नही सकेंगे। मुझे बचने के कई तरीके आते है। मैं आसानी से बच जाऊंगा। बिल्ली ने लोमड़ी से उत्सुकता से पूछा, तरीके कैसे तरीके? लोमड़ी ने गुरुर से कहा, बहुत सारे तरीके है, मेरे पास उनसे बचने के लिए, मैं कांटों वाले पौधों पर से गुजर सकता हु, झाड़ियों के पीछे छुप सकता हूं और गड्ढों में भी छुप सकता हूं। बिल्ली ने लोमड़ी से मासूमियत से पूछा क्या तुम ये सब कर सकते हो? लोमड़ी ने कहा, हां! और मैं तुम्हे कोई भी तरीका नही सिखाने वाला। ये सुन कर बिल्ली उदास हो कर बोली, मुझे तो सिर्फ एक ही तरीका आता है। तभी अचानक उन्होंने शिकारी कुत्तों की आने की आवाज सुनी। अब देखती हूं, तुम इनसे कैसे बचते हो? ये कह कर बिल्ली पास के पेड़ पर चढ़ गई। शिकारी कुत्तें लोमड़ी के पीछे पड़ गए। लोमड़ी अपनी जान बचाने के लिए कभी काटे वाले पौधे पर से कूदती, तो कभी पेड़ के पीछे छुपती। लोमड़ी ने अपने सारे तरीके अजमा लिए पर उसके सारे तरीके व्यर्थ हो गए। शिकारी कुत्तों ने उसका शिकार कर के उसे खा लिया।
सीख: दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कई सारे गुणों को थोड़ा सीखने से अच्छा है, किसी एक में निपूर्ण होना।
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♦ लोमड़ी और मुर्गे की कहानी।
एक बार एक पेड़ के नीचे से एक लोमड़ी गुजर रही थी। उसने एक डाल पर देखा की एक मुर्गा बैठा हुआ है। उस मुर्गे को देख कर लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया। लोमड़ी ने सोचा, ये तो मेरे लिए अच्छा भोजन होगा, पर उसे पेड़ पर चढ़ना नही आता था। लोमड़ी ने सोचा मुर्गे को किसी तरह पेड़ से नीचे उतारना पड़ेगा। लोमड़ी ने उपर मुर्गे की ओर देखा और विनम्रता से कहा, मेरे प्यारे मित्र मेरे पास एक बहुत अच्छी ख़बर है। मुर्गे ने लोमड़ी से पूछा क्या खबर है? लोमड़ी ने जवाब दिया, मैं भगवान का भेजा हुआ दूत हूं, आज के बाद कोई भी जानवर किसी दूसरे जानवर को नही खाएगा। हम सब दोस्त है। नीचे आओ मिलकर जशन मनाते हैं। चतुर मुर्गे ने कहा, अरे वाह! ये तो बहुत ही अच्छी ख़बर है। हमारे प्रिय मित्र, शिकारी कुत्तों को भी बुला लेना चाहिए। देखो, वो आ रहे हैं। ये सुन कर लोमड़ी डर गया और जब भागने को हुआ तो मुर्गे ने उससे पूछा की तुम डर क्यों रहे हो? क्या हम सब अब दोस्त नहीं है? मगर उन शिकारी कुत्तों को शायद ये पता नही होगा की हम सब दोस्त है या नहीं? ये कह कर वो लोमड़ी वहा से दुम दबाकर भाग निकला।
सीख: चालाक लोगों से हमेशा बच के रहना चाहिए।
♦ क्रोध चांडाल होता है!
एक पंडित जी महाराज क्रोध ना करने पर उपदेश दे रहे थे। कह रहे थे कि क्रोध आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन होता है, उससे बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और जिस आदमी में बुद्धि नहीं रहती, वह पशु बन जाता है। लोग बड़ी श्रद्धा से पंडित जी का उपदेश सुन रहे थे। पंडित जी ने कहा, क्रोध चांडाल होता है। उससे हमेशा बचकर कर रहो। भीड़ में एक ओर एक आदमी बैठा था जिसको पंडित महराज रोज सड़क पर झाड़ू लगाते हुए देखा करते थे। अपना उपदेश समाप्त करके जब पंडित जी जाने लगे तो वो आदमी भी हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया। लोगों की भक्ति भावना से फूले हुए पंडित जी भीड़ के बीच में से आगे जा रहे थे, इतने में पीछे से भीड़ का रेला आया और पंडित जी गिरते गिरते बचे। धक्के में पंडित जी उस आदमी से छू गए जो सड़क पर झाड़ू लगाया करता था। फिर क्या पंडित जी का पारा चढ़ गया। बोले, दुष्ट तू यहां कहां से आ मारा? मैं भोजन करने जा रहा था। तूने छू के मुझे गंदा कर दिया। अब मुझे स्नान करना पड़ेगा। उन्होंने उस आदमी को जी भर कर बुरा भला कहा। असल में उनको बहुत जोर की भूख लगी थी। वे जल्दी से जल्दी यजमान के घर पहुंच जाना चाहते थे। पास ही में गंगा नदी थी। लाचार होकर पंडित जी उस ओर तेजी से लपके नहाने के लिए के फिर देखते हैं कि वह आदमी उनसे आगे आगे चला जा रहा है, जिनसे ये छू गए थे। पंडित जी ने कड़क कर पूछा क्यों रे! जमादार के बच्चे तू कहां जा रहा है? जमादार ने जवाब दिया नदी में नहाने जा रहा हूं। अभी आपने कहा था न कि क्रोध चांडाल होता है, मैं उस चांडाल को छू गया इसलिए मुझे नहाना पड़ेगा यह सुनते ही पंडित जी की बोलती ही बंद हो गई। वह आगे एक शब्द भी न कह सके और जमादार का मुंह ताकते रह गए।
♦ नेकी कभी बेकार नहीं जाती।
किसी गांव में एक लकड़हारा अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह बहुत ही गरीब था। वह किसी भी दुखी बच्चे को देख कर परेशान हो जाता था। वह बहुत ही उदार और कोमल ह्रदय का मालिक था। एक दिन उसकी पत्नी बहुत बीमार पड़ गई। उस दिन लकड़हारा बहुत सी लकड़ियां काटकर लाया और उन्हें बेचकर जो पैसे मिले वो उन पैसों से दवाई खरीदने जा रहा था कि रास्ते में अचानक उसे एक बच्ची मिली जो एक पेड़ के नीचे खड़ी रो रही थी लकड़हारा उस बच्ची के पास पहुंचा और पूछा बेटा क्या बात है तुम रो क्यों रही हो बच्ची ने रोते रोते कहां मेरी मां बहुत बीमार है और मेरे पिताजी नहीं है मैं ही अपनी मां का सहारा हूं और मुझे उसकी दवाई लानी है जिसके लिए मेरे पास एक भी पैसा नहीं है बच्चे की दुख भरी कहानी सुनकर लकड़हारा अपना दुख भूल कर अपनी पत्नी की दवाई लाने वाले पैसे उस बच्ची को दे दिए पैसे लेते हैं वह बच्ची एक सुंदर परी में परिवर्तित हो गई यह दृश्य देखकर लकड़हारा हैरान रह गया परी ने लकड़हारे से कहा मेरा नाम नीलम है तुम हैरान न हो मैं नेक दिल लोगों की तलाश में रहती हूं ताकि उनकी सहायता कर सकूं मैं तुम्हारी परीक्षा ले रही थी जिसमें तुम कामयाब हो गए यह कहकर परी ने अपने हाथ की छड़ी को हवा में लहराया तो एक छोटी सी मटकी लकड़हारे के हाथ में आ गई परी बोली यह तुम्हारा इनाम है इसमें हाथ डालकर जो कुछ भी तुम मांगोगे वो तुम्हें मिलेगा यह कहकर परी गायब हो गई लकड़हारे ने उसी मटकी के द्वारा पत्नी की दवा प्राप्त की और खुशी-खुशी घर आ गया। इस प्रकार नेकी कभी बेकार नहीं जाती।।।
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