1.Moral stories:- मिट्टी का जादुई घड़ा!
बहुत पुरानी बात है, एक गांव में एक आदमी अपनी बीवी के साथ रहता था। उस आदमी का नाम रामू था। राम इतना गरीब था कि उसे दो वक्त की रोटी भी नहीं नसीब होती थी। हर रोज रामू सुबह उठकर जंगल में जाता और सूखी लकड़ियों को काटकर पास के गांव में बेच देता और अपने परिवार का पेट पालता। रामू बहुत ही सीधा साधा और बोला था और उसकी पत्नी बहुत ही लालची और स्वार्थी थी। वह हमेशा रामू को गरीबी की वजह से ताने देती थी, उसे कड़वी बात कहती थी और हमेशा अपने मायके का उदाहरण देती थी। रामू इन सब बातों से बहुत दुखी होता था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें? एक दिन उसने सोचा कि जब तक पर्याप्त पैसे नहीं कमा लूंगा घर वापस नहीं आऊंगा। दूसरे दिन रामू सुबह जल्दी ही जंगल की ओर चला गया। चलते चलते रामू थक गया, उसने पास के एक पेड़ के नीचे सहारा लिया और वहां बैठकर वह सोचने लगा उसकी समझ में नहीं आ रहा था की क्या करना है? बड़ी उदासी से वह पेड़ के नीचे बैठकर सोचने लगा तभी एक साधु वहां से गुजरा उसने रामू को देखा और उसके पास आकर पूछा, हे मानव! तुम यहां क्यों बैठे हो? रामू ने जवाब दिया, हे महात्मा! मैं बहुत ही गरीब हूं। मैं इतना गरीब हूं कि मैं अपनी पत्नी का भी पेट नहीं पाल सकता। मैं तब तक यहां से नहीं जाऊंगा, जब तक कि पर्याप्त भोजन नहीं जुटा लेता। साधु को रामू पर दया आ गई। उसने रामू को एक डब्बा दिया और कहा यह एक मिट्टी का जादुई घड़ा है। इसमें तुम्हें रोज एक सिक्का मिलेगा, उसके लिए तुम्हें रोज इस घड़े को तीन बार हिलाना होगा लेकिन इसे कभी खोलने की कोशिश मत करना, वरना यह काम नहीं करेगा। रामू यह सुनकर बहुत खुश हुआ। उसने साधु को धन्यवाद कहकर जाने की तैयारी की, घर आते ही उसने सारी हकीकत अपनी बीवी को बताई। उसकी बीवी बहुत खुश हो गई।
उन्होंने तुरंत ही तीन बार घड़े को हिलाया और सच में घड़े से एक सिक्का निकाला। रामू उस सिक्के को लेकर दुकान पर खाने का कुछ प्रबंध करने के लिए गया और दोनों पति-पत्नी आराम से खा कर सो गए। उन दोनों की जिंदगी ऐसे ही कुछ दिनों तक चलती रही। रामू रोज घड़े को हिलाता सिक्का लेता और बाजार से खाने का सामान ले आता। एक दिन रामू हर दिन की तरह काम पर चला गया और इधर उसकी पत्नी को लालच सवार हो गई। उसकी पत्नी ने सोचा क्या बार-बार एक सिक्का निकालेंगे, ऐसा करती हूं, एक ही बार में सारे सिक्के निकाल लेती हूं। रामू की पत्नी ने जोर से घड़े को जमीन पर पटका और घड़ा फूट गया। घड़ा फूटते ही उसकी पत्नी जोर जोर से रोने लगी क्योंकि घड़ा फूटन के बाद, उसे कोई सिक्का नहीं मिला। रामू जब घर वापस आया तो उसने घड़ा टूटा हुआ पाया और अपने नसीब को कोसने लगा। पत्नी की लालच की वजह से रामू को फिर से गरीबी का जीवन जीना पड़ गया।
सीख:- दोस्तो, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की लालच करना बुरा होता है और जो हमें मिला है उसी में हमें खुश रहना चाहिए!
2.Moral stories:- जादुई घड़ी!
बहुत पुरानी बात है, एक गांव में गरीब सीता नाम की एक औरत रहती थी। उसके पास एक गधा था। जिससे मजदूरी करके सीता अपने घर का गुजारा करती थी। एक दिन सीता के पति बीमार पड़ गए लेकिन सीता के पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे इसलिए उसने सोचा कि मैं अपने पति की इलाज के लिए गधा बेच दूंगी। यह सोच कर सीता गधा लेकर बाजार की ओर चल पड़ी। बाजार का रास्ता जंगल से होकर गुजरता था। रास्ते में सीता को एक साधु दिखाई दिए। सीता उनके पास गई और पूछी साधु जी! आप इस जंगल में कैसे? साधु महाराज बोलें, मुझे पास ही के गांव जाना है मगर मैं रास्ता भटक गया हूं और मुझे भूख भी लगी है। इस पर सीता बोली साधु जी मैं अपना गधा बेचने जा रही हूं लेकिन मेरे पास खाने के लिए यह फल है। आप इसे खा सकते हैं। ऐसा कहते ही सीता ने कुछ फल साधु को दे दिए। साधु ने वो फल खाए और सीता से बोले, इस गधे को बेचकर क्या करना चाहती हो? सीता बोली मेरे पति की तबीयत खराब है, उनके इलाज के लिए मेरे पास पैसे नहीं है इसीलिए इस गधे को बेचने जा रही हो। जिससे मैं अपने पति का इलाज करवा सकूं। साधु महाराज सीता से बोले, बेटा तुम्हें यह गधा बेचने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तुम्हें एक जादुई घड़ी देता हूं। ऐसा कहते ही साधु ने कुछ मंत्र पढ़ें और हाथ में घड़ी प्रकट हो गई। साधु, वह घड़ी सीता को देते हैं और बोलते हैं, लो बेटा! इस घड़ी को अपने हाथ में पहन लो। यह जादुई घड़ी है, जब भी तुम्हें पैसे की जरूरत हो तो इसे अपनी उंगली से स्पर्श करना। तुम्हारे सामने पैसे आजाएंगे पर एक बात हमेशा ध्यान रखना, तुम्हारे अलावा कोई और इस घड़ी का इस्तेमाल नहीं कर सकता अगर किसी दूसरे ने इस घड़ी का इस्तेमाल किया तो हमेशा के लिए वह बिस्तर पर पड़ जाएगा। यह सुनते ही सीता साधु को धन्यवाद कहकर अपने गांव वापस लौट गई।
सीता को देख कर उसका पति पूछा, तुम तो गधा बेचने बाजार गई थी, तुम इतनी जल्दी वापस कैसे आ गई? यह सुनकर सीता बोली, अब हमें गधा बेचने की कोई आवश्यकता नहीं है। जंगल में मुझे एक साधु मिले थे, उन्होंने मुझे एक जादुई घड़ी दी है। ऐसा कहते ही, सीता घड़ी को अपनी उंगली से दबाती है और उसके सामने कुछ सिक्के आ जाते हैं। यह देख कर सीता का पति बहुत खुश हो जाता है। सीता ने उसका इलाज करवाया और खुशी खुशी वे दोनों रहने लगे। जब भी पैसों की जरूरत होती थी, घड़ी को दबाकर पैसे ले लेते थे। इस प्रकार उनकी गरीबी धीरे-धीरे दूर होने लगी और साथ ही सीता ने गांव के कुछ लोगों की भी मदद करने लगी। सीता की इन कामों को देख लोग जलने लगे। आखिर सीता के पास इतने पैसे कहां से आए? उसके पास तो पति के इलाज करने के लिए भी पैसे नहीं थे? एक दिन एक आदमी की नजर सीता के घर पर जाती है। जिसका नाम रमेश था। रमेश अंदर देखता है तो सीता घड़ी दबाकर पैसे निकाल रही होती है, यह देखकर रमेश दंग रह जाता है और सोचता है, अच्छा तो यह बात है, सीता के पास जादुई घड़ी है। उसी की वजह से सीता और उसका परिवार इतना धनवान बन गया है। मुझे यह घड़ी चुरानी होगी, रमेश रात होते ही सीता के घर घुस जाता है। सीता और उसके पति दोनों सो रहे होते हैं, वह घड़ी सीता के हाथ में ही होती हैं और रमेश चुपके से वह घड़ी निकाल कर ले कर चला जाता है और अपने घर पहुंचने के बाद कहने लगता है, अब मैं भी अमीर बन जाऊंगा, ऐसा कहते ही रमेश ने उस घड़ी को अपने हाथ में पहन लिया लेकिन तभी रमेश को जोर का झटका लगा और वह जमीन पर गिर गया, लाख कोशिशों के बावजूद भी वह उठ नहीं पा रहा था। रमेश हमेशा के लिए बिस्तर पर पड़ गया। जब यह बात सीता को पता चलती है तो हो रमेश के घर पहुंचती है और उससे कहती है, भैया यह घड़ी सिर्फ मेरे ही हाथों में काम करेगी अगर किसी दूसरे ने इस इस्तेमाल किया तो उसका यही हाल होगा इसलिए बेहतर है की तुम मेरी घड़ी मुझे वापस कर दो। ऐसा कहते ही, रमेश ने सीता को उसकी घड़ी लौटा दिया और सीता अपनी घड़ी लेकर वहां से चली जाती है।
सीख:- दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी से भी जलना नहीं चाहिए और चोरी तो बिल्कुल ही नहीं करनी चाहिए!
3. Moral story:- जादुई छड़ी!
बहुत समय पहले की बात है, एक बहुत ही सुंदर गांव था। इस गांव में रमेश नाम का एक आदमी अपनी मां और अपने भाई, सुरेश के साथ रहता था। वह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालता था। वह जंगलों में जाता सूखी लकड़ियों को काटता और पास के गांव में जाकर बेच देता था। लकड़ियों को जमा करने के बाद, रमेश एक पेड़ के नीचे आराम से बैठ जाता था। कुछ देर आराम करक और लकड़ियों को बेचकर जैसे उसको पैसे मिलते थे, वो लेकर घर चला जाता था। घर जाकर रमेश अपनी मां से कहता है, मां बहुत तेज भूख लगी है, जो भी है मुझे खाने के लिए दो। उसकी मां ने रमेश और सुरेश को बासी रोटी परोसी, बासी रोटी देख कर, सुरेश बोलता है, क्या मां रोज रोज वही बासी खाना, कुछ तो कभी खाने के लिए नया दिया करो, तभी उसकी मां उसे समझती है, ऐसा नहीं कहते बेटा, जो भी मिला उसे हमें ईश्वर का धन्यवाद कर के खाना लेना चाहिए, तुम्हारा बड़ा भाई बहुत मेहनत करके पैसे लाता है, जिसकी वजह से हम कम से कम बासी रोटी तो खा सकते हैं।
रमेश को अपने परिवार का यह हाल देखा नहीं गया। वह उदास हो गया। रमेश हमेशा की तरह रोज उस जंगल में जाता, सूखी लकड़ियां इकट्ठे करता और उस पेड़ के नीचे बैठ जाता लेकिन रमेश आज कुछ ज्यादा ही चिंतित था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? तभी एक चमत्कार हुआ, जिस पेड़ के नीचे रमेश बैठा था, उस पेड़ की आत्मा प्रकट हुई। उस पर नहीं रमेश से पूछा, हे बेटा! तुम इतने चिंतित क्यों बैठे हो, क्या बात है? तब रमेश चौक गया, अरे तुम! बोल भी सकते हो? रमेश ने उस पेड़ को अपनी पूरी हालत बताई तभी उस पेड़ में रमेश को एक जादुई छड़ी दी और रमेश से पेड़ बोला। यह कोई मामूली छड़ी नहीं है। यह जादुई छड़ी है। इस छड़ी की मदद से तुम जो खाना चाहो, वह तुम्हें मिल जाएगा लेकिन एक बात हमेशा याद रखना इस छड़ी का इस्तेमाल दिन में सिर्फ से एक बार हो सकता है। रमेश पेड़ को धन्यवाद करते हुए खुशी खुशी अपने घर चला गया और घर जाकर मां को छड़ी दिखाया। छड़ी देख कर मां ने रमेश से बोली, ये क्या है? बेटा इस मामूली छड़ी से क्या होगा? तब रमेश में अपनी मां और भाई को पूरी बात बताई। रमेश में सुरेश से पूछा, बोलो सुरेश! तुम्हें खाने में क्या चाहिए? सुरेश बोला मुझे ताजी रोटी, चावल, खीर, पनीर, जलेबी और आइसक्रीम चाहिए। ऐसा कहते ही, रमेश ने छड़ी को जमीन पर गोल घुमाया और सच में जो मांगा वह हाजिर हो गया। यह देख कर उसकी मां बोली यह तो सच में जादुई छड़ी है। फिर सब ने पेट भर कर खाना खाया।
रमेश हमेशा की तरह जंगल में जाता, सूखी लकड़ियों को इकट्ठा करता और उस पेड़ के नीचे बैठ जाता। एक दिन रमेश और उसकी मां दोनों घर से बाहर गए हुए थे। सुरेश घर पर अकेला था। उसे जोर की भूख लगी तो सुरेश ने जादुई छड़ी ली गोल घुमाया और खाना हाजिर हो गया। सुरेश ने उस खाने को खाया और सो गया। इधर जंगल से रमेश घर जल्दी वापस आ गया, उसे भी जोरों की भूख लगी थी। उसने छड़ी को ढूंढने लगा, छड़ी मिलने के बाद, रमेश ने छड़ी को गोल घुमाया पर खाना नहीं आया। रमेश ने फिर से छड़ी को घुमाया लेकिन फिर भी खाना नहीं आया तभी रमेश को अचानक से us पेड़ की कही बात याद आई की छड़ी को दिन में सिर्फ एक ही बार घुमाना है। जब मां घर वापस आई तो उसने देखा कि रमेश रो रहा है और सुरेश आराम से सो रहा है। उसने सुरेश को नींद से उठाया और रमेश से पूछा कि बेटा क्या हुआ? तुम क्यों रो रहे हो? तब रमेश ने मां से कहा, मां मुझे जोरों की भूख लगी थी इसलिए मैं जंगल से घर जल्दी आ गया, छड़ी को घुमाया पर मुझे खाना नहीं मिला क्योंकि सुरेश ने उस छड़ी का पहले ही इस्तेमाल कर लिया है, तब मां को पूरी बात समझ आई। मां ने सुरेश को समझाया कि बेटा सुरेश हमेशा दूसरों की बारे में सोचा करो, खुद के बारे में सोचने वाला स्वार्थी कहलाता है, जो भी मिला हो, उसे मिल बांट कर खाना चाहिए। सुरेश को अपनी गलती का एहसास हुआ उसने रमेश से माफी मांगी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी क्योंकि रमेश और उसकी मां को सुरेश की स्वार्थ की वजह से भूखा ही रहना पड़ा।
सीख: तो दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी स्वार्थी नहीं होना चाहिए। खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि जो सिर्फ अपने बारे में सोचता है उसका कभी कुछ भी पूरा नहीं पढ़ पाता है हमेशा उसे कम ही लगता है।
4.Moral story:- जादुई पेटी!
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में दो आदमी रहते थे। एक बहुत अमीर था। उसका नाम हरि था। उसके पास सब कुछ था। दूसरा भाई गरीब था। उसका नाम बोला था। उसके पास खाने-पीने के लाले थे और ठीक से पहनने के लिए कपड़े भी नहीं थेे। भोला का परिवार भूख से तड़पता रहता था। एक दिन भोला ने सोचा, क्यों न भाई के पास जाकर कुछ मदद मांगी जाए? जब भोला अपने भाई, हरि के पास मदद मांगने के लिए गया तो उसका भाई मना कर दिया। भोला बहुत दुखी हुआ। एक दिन भोला काम की तलाश में भटक रहा था तभी रास्ते में उसे एक बूढ़ा आदमी दिखा। उसके पास तीन पेटियां थी। उस बूढ़े आदमी से वह पेटिया उठाई जा रही थी। भोला उसके पास गया और उस बूढ़े आदमी से भोला ने पूछा, लगता है बहुत भारी है, क्या मैं आपकी मदद कर दूं? बूढ़ा आदमी बोला ठीक है बेटा, इसे उठा लो और मेरे साथ घर तक चलो। भोला पेटियो को अपने सर पर उठाकर उस बूढ़े आदमी के पीछे पीछे चल दिया और उस बूढ़े आदमी के घर तक पहुंचा। उस बूढ़े आदमी ने शुक्रिया करते हुए, भोला से पूछा क्या हुआ बेटा तुम इतने परेशान क्यों हो? क्या तुम्हें कोई तकलीफ है? भोला ने बूढ़े आदमी से बोला, बाबा जी! मैं बहुत गरीब हूं, एक वक्त का खाना भी नहीं है मेरे पास और काम भी नहीं मिल रहा। बूढ़ा आदमी भोला की यह बात सुनकर बोला, तुम यहीं रुको बेटा, मैं अभी आता हूं। यह कह कर वह आदमी घर में जाता है और साथ में एक पेटी लाता है और भोला को देने लगता है। भोला उस आदमी से पूछता है, मैं इस पेटी को लेकर क्या करूंगा? तभी वह आदमी भोला से कहता है, यह कोई ऐसी वैसी पेटी नहीं है। यह एक जादुई पेटी है। इसे खोलते हैं तुम जो चाहोगे वह तुम्हें मिल जाएगा। यह सुनकर भोला उस आदमी से बोला लेकिन आप यह मुझे क्यों दे रहे हैं? आदमी बोला क्योंकि अब मुझे इसकी जरूरत नहीं है। अब ये तुम्हारे काम आएगी, तुम इसे ले लो लेकिन एक बात ध्यान रखना। काम होने के बाद इस पेटी को बंद करना ना भूलना, नहीं तो अनर्थ हो जाएगा। भोला उस आदमी से वह पेटी ले लेता है और धन्यवाद कहकर खुशी खुशी अपने घर चला जाता है और घर जाते ही अपनी पत्नी को कहता है या देखो मुझे क्या मिला है?
पत्नी बोली यह क्या लेकर आए हो? हमें खाना चाहिए हम इस पेटी का क्या करेंगे? भोला अपनी पत्नी से बोला, अरे भागवान! यह कोई ऐसी वैसी पेटी नहीं है, यह एक जादुई पेटी है। हमें जो भी चाहिए यह पेटी हमें वो चीज दे देगी। यह सुनकर पत्नी बोली, क्या सच में अब हम कभी भूखे नहीं रहेंगे? फिर भोला उस पेटी से कहता है, जादुई पेटी अब हमें खाना दो। पेटी खुलती है और उसमें से अलग-अलग प्रकार के व्यंजन बाहर आने लगते हैं।भोला और उसकी पत्नी ने पेट भर कर खाना खाया और उस पेटी को बंद कर दिया। फिर उसने उस पेटी से नई नई चीजें निकालना शुरू किया। कभी चावल, कभी दाल, तो कभी बाजार का सामान धीरे-धीरे उसकी गरीबी दूर होने लगी। एक दिन भोला सामान लेकर बाजार जा रहा था तभी रास्ते में उसके भाई ने पूछा, कहा जा रहे हो? भोला बोला यही बाजार में समान बेचने जा रहा हूं। उसके भाई ने सोचा,अभी कुछ दिन पहले इसके पास खाने के लिए नहीं था और आज सामान बेच रहा है। कुछ तो गड़बड़ है और उसका भाई उसका पीछा करने लगता है। भोला जब बाजार से घर जाने लगता है तब उसका भाई उसका पीछा करता है और खिड़की से झांकने लगता है। भोला और उसकी पत्नी जादुई पेटी से अलग अलग सामान मंगवा रहे थे और उसका भाई ये सब देख लेता है। रात होते ही हरी चुपके से भोला के घर से वह पेटी चुरा लेता है। हरी उस पेटी को ले कर एक जंगल तरफ भागता है दौड़ते दौड़ते वो एक गड्डे में गिर जाता है। प्यास लगने की वजह से हरी उस जादुई पेटी से पानी मांगता है। पेटी से पानी आना शुरू होता है। हरी को उस पेटी को बंद करने का तरीका नहीं मालूम होने की वजह से उस गड्डे में पूरा पानी भर जाता है और हरी उसमे डूब जाता है।
सीख:- तो दोस्तों, इस कहानी से हम यही समझते हैं की किसी से भी ईर्षा नही करनी चाहिए जो हमारे पास है हमे उसी में खुश रहना चाहिए।
5. Moral story:- जादुई पेड़
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में इच्छापूर्ति पेड़ था, जो भी उस पेड़ को पानी डालकर अपनी इच्छा मांगता, वो उसकी इच्छा पूरी कर देता था। एक आदमी उस पेड़ के पास आया और बोला इच्छापूर्ति पेड़, मुझे ढेर सारा धन चाहिए। ऐसा कहते ही, उस आदमी के सामने धन की थैली आ गई। वह आदमी उस पेड़ को धन्यवाद दे कर वहां से चल दिया। इसी तरह कई लोग उस पेड़ को पानी डालकर अपनी इच्छा मांगने लगे और वह पेड़ सबकी इच्छा पूरी करता रहा लेकिन कुछ सालों बाद वह इच्छापूर्ति पेड़ बूढ़ा हो गया और उसकी शक्तियां भी खत्म हो गई। अब वह किसी की इच्छा पूरी करने के लायक नहीं रहा। एक दिन एक औरत उस पेड़ के पास आई और बोली इच्छापूर्ति पेड़ मुझे खाने के लिए कुछ अनाज चाहिए। उस औरत की इच्छा पूरी नहीं हुई और वह औरत वहां से नाराज हो कर चली गई। यह देख कर पेड़ को बहुत बुरा लगा और वह खुद से बोला, काश कुछ ऐसा हो जाए, जिससे मेरी खोई हुई शक्तियां वापस आ जाए और मैं लोगों की इच्छा फिर से पूरी कर सकूं। मुझे यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगता कि लोग खाली हाथ वापस जा रहे हैं। हे भगवान! मुझे मेरी सारी खोई हुई शक्तियां वापस लौटा दो, आपकी बहुत बहुत कृपा होगी। ऐसा बोलते ही इच्छापूर्ति पेड़ भौबुक हो गया और रोने लगा। तभी वहां एक भगवान प्रकट हुए और पेड़ से बोले, क्या हुआ पेड़ क्यों रो रहे हो? पेड़ ने बोला, भगवान मेरी सारी शक्तियां खत्म हो चुकी है और अब मैं किसी की मदद नहीं कर सकता। कृपा मेरी मदद करें। यह सुन कर भगवान बोले एक उपाय है लेकिन थोड़ा कठिन है। यहां से दूर एक जंगल में एक जादुई कुआं है। अगर कोई उस कुएं से पानी ला कर तुम्हे डालें तो तुम्हारी खाई हुई शक्तियां वापस आ सकती हैं लेकिन वो पानी कौन लायेगा ये तुम्हे सोचना है।
ये बोल कर भगवान वहा से चले गए और पेड़ सोच में पड़ गया क्योंकि वो तो खुद चल कर वहा जाएगा नहीं और रोने लगा। पेड़ की रोने की आवाज सुन कर वहा से गुजर रहा एक आदमी उसके पास आया और पेड़ से पूछा क्या हुआ इच्छापूर्ति पेड़ तुम क्यों रो रहे हो? जब पेड़ ने उस आदमी को सारी बात बताई तो उस आदमी ने उस पेड़ की मदद करने की ठानी। आदमी ने पेड़ से पूछा मुझे बताओ क्या करना होगा? पेड़ ने बताया जंगल में दूर एक जादुई कुआं है, उसमे से पानी ला कर मुझ में डालना होगा। पानी डालते ही मेरी सारी शक्तियां वापस आ जाएंगी। यह सुन कर आदमी जंगल की ओर चल दिया, चलते चलते उसे एक जादुई कुआं दिखाई दिया। वो झट से उस कुएं के पास गया और उस कुएं से पानी निकाला और एक बोतल में भर लिया। आदमी खुशी खुशी उस पेड़ के पास आया, उस आदमी को देखकर पेड़ भी बहुत खुश हुआ। उस आदमी ने उस बोतल का पानी उस पेड़ में डाला और पेड़ की खोई हुई शक्तियां वापस आ गई। पेड़ ने खुस हो कर उस आदमी को सोने के सिक्के से भरी एक पोटली दी और उस आदमी को धन्यवाद कहा। वह आदमी उस पोटली को ले कर वहा से चला गया। दूसरे दिन वही औरत वहा आई जो खाली हाथ नाराज हो कर लौट गई थी। वह बहुत भूखी थी पेड़ ने उस औरत को पहचान लिया और पेड़ ने उसे खाना दिया, फिर उस औरत ने पेट भर के खाना खाया और उस पेड़ को शुक्रिया किया। पेड़ को भी उसकी मदद कर के अच्छा लगा अब पेड़ बहुत खुश था क्योंकि अब वह फिर से सबकी मदद कर रहा था और सब की इच्छाओं की पूर्ति कर रहा था।
धन्यवाद!
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