इतिहास में कई सारे राजा महाराजा हुए हैं। उन सभी राजा महाराजाओं के साथ कवि दरबारी सलाहकार के नाम के साथ इतिहास के पन्नों में दर्ज है। उन्ही में से एक जोड़ी है अकबर और बीरबल की। अकबर और बीरबल के बारे में तो आप लोगों ने सुना ही होगा। जिनमे अकबर अक्सर अपने टेढ़े मेढ़े सवालों से बीरबल को फसाने का कोशिश करते है लेकिन बीरबल अपनी बुद्धि और हाजिर जवाबी से अकबर की टोपी, उल्टे अकबर को ही पहना देता है। इन पर कई सारे नाटक और कहानियां बन चुकी है, जो हमे मनोरंजन के साथ साथ ज्ञान का दर्शन भी कराती है। ऐसे ही अकबर और बीरबल के कुछ किस्से ले कर मैं आपके लिए आया हूं। मैं आशा करता हूं की इनको पढ़ कर आपको बहुत आनंद आएगा।
एक बार की बात है एक दिन बादशाह अकबर घोड़े पर बैठकर शाही बाग में घूमने गए, साथ में बीरबल भी था। चारों ओर हरा-भरा वृक्ष और हरे-भरे घास देखकर अकबर को बहुत आनंद आया। राजा अकबर को लगा के बगीचे में सैर करने के लिए तो घोड़ा भी हरे रंग का ही होना चाहिए। अकबर ने बीरबल से कहा कि बीरबल मुझे हरे रंग का घोड़ा चाहिए। मुझे 7 दिनों में हरे रंग का घोड़ा चाहिए। यदि तुम 7 दिनों के अंदर हरे रंग का घोड़ा नहीं ला सके तो मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना। हरे रंग का घोड़ा तो होता ही नहीं है, यह बात अकबर और बीरबल दोनों को ही पता थी। दरअसल, राजा अकबर इस तरह के सवाल करके वो चाहते थे कि बीरबल अपनी हार स्वीकार कर ले, मगर बीरबल हार मानने वाला कहा, बीरबल हरे रंग का घोड़ा खोजने के बहाने 7 दिनों तक इधर उधर घूमते रहे। 8वे दिन बीरबल दरबार में हाजिर हुए और राजा अकबर से बोले जहापनाह मुझे हरे रंग का घोड़ा मिल गया है। राजा अकबर को आश्चर्य हुआ और उन्होंने बीरबल से पूछा जल्दी बताओ कहा है? हरे रंग का घोड़ा बीरबल ने जवाब देते हुए कहा, जहांपनाह घोड़ा तो आपको मिल जाएगा लेकिन उसके मालिक ने 2 शर्ते रखी है। अकबर ने बोला, ठीक है बताओ क्या है वे दो शर्ते? बीरबल ने कहा, पहली शर्त ये है की घोड़ा लेने के लिए आपको स्वयं जाना होगा अकबर ने कहा, ये तो बड़ा ही आसान है।
दूसरी शर्त क्या है? बीरबल ने कहा जहांपनाह घोड़ा ख़ास रंग का है इसलिए उसे लाने के लिए भी कोई खास दिन ही होना चाहिए। उसका मालिक का कहना है की आप 7 वारों को छोड़ कर बाकी किसी भी दिन घोड़े को ले जा सकते है। बीरबल की यह बात सुन कर राजा अकबर हसने लगे और वो समझ गए की बीरबल के पास हर प्रश्न का उत्तर है।
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⚫मुर्गी पहले आई या अंडा
एक दिन की बात है, बादशाह अकबर की राज्यसभा में एक ज्ञानी पंडित आए हुए थे। वह कुछ सवालों के जवाब बादशाह से जानना चाहते थे लेकिन बादशाह के लिए उनके सवालों का जवाब देना मुश्किल हो गया इसलिए उन्होंने पंडित के सवालों का जवाब देने के लिए बीरबल को आगे कर दिया। बीरबल की चतुराई से सभी वाकिफ थे और सभी को उम्मीद थी कि बीरबल पंडित के हर सवालों का जवाब आसानी से दे सकते हैं। पंडित ने बीरबल से कहा, मैं तुम्हें दो विकल्प देता हूं। एक या तो तुम मुझे मेरे 100 आसान से सवालों के जवाब दो या फिर एक मुश्किल सवाल का जवाब दो। बीरबल ने सोच विचार करने के बाद कहा कि मैं एक आपके एक मुश्किल सवाल का जवाब देना चाहता हूं। फिर, पंडित ने बीरबल से पूछा तो तुम बताओ "मुर्गी पहले आई या अंडा? बीरबल ने तुरंत पंडित को जवाब दिया कि मुर्गी पहले आई। पंडित ने बीरबल से पूछा कि तुम इतनी आसानी से कैसे कह सकते हो कि मुर्गी पहले आई? इस पर बीरबल ने पंडित से कहा की यह आपका दूसरा सवाल है और मुझे आपके एक ही सवाल का जवाब देना था। ऐसे में पंडित बीरबल के सामने कुछ बोल नहीं पाए और बिना बोले ही दरबार से चले गए। बीरबल की चतुराई और अक्लमंदी को देखकर अकबर हमेशा की तरह इस बार भी बहुत खुश हुए।
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की सही तरह से दिमाग लगाने और संयम रखने से हर सवाल का जवाब मिल सकता है।
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⚫अकबर के 5 प्रश्न
बादशाह अकबर जितने अच्छे शासक थे, उतने अच्छे इंसान भी। उनका विनोदप्रिय स्वभाव सभी को भाता था। एक दिन बादशाह अकबर दरबार में बैठे थे, सभी दरबारी भी वहां उपस्थित थे किंतु उनका प्रिय मित्र बीरबल दरबार में नहीं पहुंचा था। आवश्यक दरबारी कार्यों पर चर्चा चल रही थी की अचानक न जाने अकबर को क्या सूझी कि उन्होंने कहा, क्या तुम में से कोई यह बता सकता है कि कौन सा फूल सबसे अच्छा होता है? कौन सा पत्ता सबसे अच्छा होता है? किसका दूध सबसे अच्छा होता है? मीठे में सबसे अच्छा क्या होता है? तथा सबसे अच्छा राजा कौन सा है?
अकबर के इन सवालों के जवाब से सभी दरबारियों की राय अलग अलग थी किंतु पांचवे सवाल के जवाब में सभी दरबारियों ने बादशाह अकबर को ही सर्वश्रेष्ठ बताया।
सभी के जवाब सुनकर भी बादशाह को संतुष्टि नहीं हो रही थी। उन्हें यकीन था कि इन सवालों के सही उत्तर तो बीरबल ही दे सकता है। कुछ ही देर में, बीरबल दरबार में उपस्थित हुआ और बादशाह को सलाम करके अपने स्थान पर बैठ गया। बादशाह अकबर ने उपरोक्त सवालों को बीरबल के सामने पुनः दोहराया। बादशाह के सवालों को सुनकर बीरबल ने कहा, बादशाह सलामत यह तो बहुत ही आसान सवाल है। बीरबल ने कहा, सबसे अच्छा फूल कपास का होता है क्योंकि उससे हमें तन ढापने को कपड़ा मिलता हैं। सबसे अच्छा पत्ता पान का होता है, जिससे दुश्मनों को भी दोस्त बनाया जा सकता है। मां का दूध सबसे अच्छा होता है, इसी से शिशु को पोषण मिलता है। मिठास सबसे अच्छी वाणी की है क्योंकि मीठा बोलने वालों की इस दुनिया में इज्जत होती है और राजाओं में सबसे अच्छा राजा इंद्र है, जिस के आदेश से यह दुनिया चल रही है। बादशाह अकबर को अपने सवालों का जवाब मिल गया और वे बीरबल की बुद्धिमता पर बहुत खुश हुए।
⚫अंगूठी चोर और बीरबल
एक दिन की बात है, बादशाह अकबर के दरबार में बहुत ज्यादा भीड़ थी और तभी थोड़ी देर में अकबर को पता चला कि उनकी एक बहुत कीमती हीरे की अंगूठी अचानक ही गायब हो चुकी थी, जो कि उन्होंने अभी कुछ ही देर पहले अपनी उंगली में से उतारकर टेबल पर रखी थी तभी बादशाह अकबर बहुत ही ज्यादा दुखी होते हुए अंगूठी वाली बात बीरबल को बताते हैं और उन्होंने बीरबल से यह भी कहा कि वह अंगूठी उनके पिताजी की अमानत थी, जिससे वह बहुत प्यार करते थे। बीरबल ने बादशाह अकबर से कहा कि महाराज आप बिल्कुल भी चिंता ना करें। मैं आपकी वो कीमती अंगूठी जरूर ढूंढ लूंगा तभी बीरबल ने सेनापति को यह आदेश दिया की सेनापति कोई भी आदमी महल से बाहर न जा पाए। यह बात सुनकर अंगूठी चोर बहुत ही ज्यादा चौक गया तभी बीरबल को एक तरकीब सूझी और उन्होंने महाराज अकबर से कहा कि महाराज आपकी अंगूठी जिसने भी चुराई है, उसका पता लग चुका है और आपकी अंगूठी इन दरबारियों में बैठे एक ऐसे आदमी के पास है, जिसकी दाढ़ी में एक तिनका फंसा हुआ है ।
उसी ने चुराई है आपकी हीरे की अंगूठी तभी जिस दरबारी ने अकबर की अंगूठी चुराई थी, वह अचानक ही बहुत ज्यादा घबराहट के मारे अपनी दाढ़ी को ध्यान से देखने लगा तभी बीरबल की नजर उस चोर पर पड़ गई। उसी समय बीरबल ने सैनिकों को तुरंत उसकी तलाशी करने का आदेश दिया और उस आदमी की तलाशी लेने के बाद, वह हीरे की अंगूठी उसी के पास ही निकली तभी उसी समय उस अंगूठी चोर को बीरबल ने कारागार में डलवा दिया। अब बादशाह अकबर उस अंगूठी को पाकर बहुत खुश हुए लेकिन फिर अकबर ने बीरबल से पूछा कि बीरबल तुम्हें यह कैसे पता चला की उसी के पास ही अंगूठी है? तो बीरबल ने अपनी प्यारी मुस्कान के साथ बादशाह अकबर से कहा की महाराज दाढ़ी में तिनके वाली बात मैंने सब से झूठ कही थी और जब वो चोर यह सुनकर बहुत ही ज्यादा घबराता हुआ अपनी दाढ़ी को बार-बार देखने लगा, उसी समय मैं समझ गया था कि हो ना हो आपकी अंगूठी उसी ने ही चुराई है तभी वह पकड़ा भी गया। बीरबल की इस बात पर बादशाह अकबर बहुत खुश हुए और फिर उन्होंने बीरबल को इनाम भी दिया।
⚫अकबर का सवाल
एक दिन दरबार में बीरबल उपस्थित नहीं था इसलिए कई दरबारी बीरबल की बुराइयां करने लगे। उनमें से चार दरबारी बीरबल के खिलाफ कुछ जहर उगल रहे थे। एक दिन बादशाह अकबर ने उन चारों से सवाल पूछा की बताओ इस संसार में सबसे बड़ी चीज क्या है? सवाल सुनकर उन चारों की बोलती बंद हो गई। बादशाह अकबर ने उन चारों को सबक सिखाने के उद्देश्य से फिर से कहा, तुम चारों तो बहुत समझदार हो तो जल्दी बताओ, वरना तुम चारों को फांसी दे दूंगा। फांसी की बात सुनकर उनके चेहरे का रंग उड़ गया। उन चारों को समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दें, कोई खुदा को सबसे बड़ा बताता तो कोई बादशाह अकबर की सलामत को बड़ा बताता। ये सुनकर अकबर संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने फिर उनसे डाट कर पूछा तो वे सोचने लगे। कुछ सोचकर उनमें से एक ने बादशाह अकबर से कुछ दिन का समय मांगा। बादशाह अकबर ने उन्हें 3 दिन का समय दे दिया और कहां कि 3 दिन के बाद भी उन्हें उत्तर नहीं मिला तो तुम लोगों की मौत निश्चित है। अंततः उन चारों को उत्तर के लिए बीरबल की ही शरण में जाना पड़ा। बीरबल ने उन चारों से कहा, मैं तुम्हें बादशाह अकबर के गुस्से से बचा लूंगा और उनके सवाल का जवाब दे दूंगा किंतु मेरी एक शर्त है, उन्होंने बीरबल की शर्तें मान ली।
बीरबल ने उनसे कहा, तुम चारों में से 2 लोग मेरी चारपाई को कंधा दो, एक मेरा हुक्का पकड़े और दूसरा मेरे जूते और इस तरह मुझे बादशाह अकबर के दरबार तक ले जाया जाए। उन चारों के सिर पे तो मौत मंडरा रही थी अतः उन्होंने तुरंत वो शर्त मान ली। बीरबल चारपाई पर बैठ गया। दो लोगो ने उसकी चारपाई उठा ली, एक ने हुक्का पकड़ा और दूसरा उसके जूते ले कर चल दिया। इस तरह वे सभी दरबार में पहुंच गए। बीरबल को इस तरह बादशाह अकबर के दरबार में आते देख कर, बादशाह ने बीरबल से पूछा, बीरबल ये क्या माजरा है? बीरबल ने जवाब देते हुए कहा की जहांपनाह मुझे लगता है की अब आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया होगा। इस संसार में सबसे बड़ी चीज जरूरत है, जिसके लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। उधारण आपके सामने मौजूद है। बादशाह अकबर ने उन चारों की ओर देखा जो मुंह लटकाए खड़े थे। वे चारों भी समझ गए थे की यही उनकी गुस्ताकी की सजा थी, जो उन्हे अकबर ने अलग ही अंदाज में दी है।
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