Akbar Birbal Stories in Hindi- अकबर बीरबल की कुछ मज़ेदार कहानियां।


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👉 अकबर बीरबल की कहानी- कौन मूर्ख कौन समझदार?

बादशाह अकबर ने भरे दरबार में बीरबल से पूछा, इस दुनिया में किस बिरादरी के लोग मूर्ख होते हैं और किस बिरादरी के लोग समझदार? बीरबल ने जवाब दिया- हुजूर, सीधी सी बात है मूर्ख होते हैं मूल्ला और समझदार होते हैं बनिया। बीरबल की यह बात सुन कर बादशाह ने अचरज से पूछा- यह तुम कैसे कह सकते हो? मुुल्ला तो पढ़ लिख कर धर्म कर्म का काम देखने वाले होते है। इस पर बीरबल ने कहा- हुजूर, कुछ खर्च होगा किंतु मैं साबित कर दूंगा। बादशाह अकबर ने कहा, हमें मंजूर है। बादशाह अकबर की अनुमति मिलने के बाद बीरबल ने शाही  मुुल्ला को दरबार में हाजिर होने के लिए फरमान भेजवाया। कुछ देर बाद, मुुल्ला दरबार में हाजिर हुआ। 

मुल्ला बादशाह को सिर झुका कर सलाम किया और बुलाए जाने का कारण पूछा। इस पर बीरबल बोला- मुल्लाजी बात यह है कि बादशाह अकबर को आपकी दाढ़ी पसंद आ गई है और वे चाहते हैं कि आप यह दाढ़ी उन्हें दे। इसके बदले आप जो रकम चाहे, वह मिल जायेगी। मुल्ला ने डरते हुए कहा- दीवान जी यह आप क्या कह रहे हैं? मैं दाढ़ी कैसे दे सकता हूं? इस पर बीरबल ने कहा, सोच लो मुल्लाजी, आप बादशाह अकबर से बैर करने जा रहे हैं। इसके बदले मे जितनी चाहे उतनी रकम ले सकते हैं। मुल्ला डर गया और बोला, जब बात आपको दाढ़ी पसंद आ ही आ गई है तो मैं क्या कर सकता हूं? आप इसके बदले ₹10 दिलवा दीजिएगा। शाही ख़ज़ाने से मुल्लाजी को ₹10 दे दिए गए और नाई को बुलवाकर उनकी दाढ़ी कटवा दी गई। मुल्लाजी की जान में जान आई और वह तुरंत दरबार छोड़कर भाग गया। मुल्ला जी के जाने के बाद बीरबल ने दाढ़ी वाले बड़े व्यापारी को दरबार में पेश करने के लिए कहा, कुछ ही देर में व्यापारी दरबार में हाजिर हो गया।

 बीरबल ने उससे भी यही कहा की बादशाह को उसकी दाढ़ी पसंद आ गई है और वह उसकी मुंह मांगी कीमत देंगे। यह सुनकर व्यापारी बोले- हुजूर, बादशाह सलामत तो जो चाहे वो मांग सकते हैं। हम रोकने वाले कौन हैं? किंतु हुजूर, आप तो जानते हैं की यह दाढ़ी ही हम व्यापारियों की धाक है। इसी दाढ़ी को ना कटवाने के कारण अपने मां-बाप के मृत्यु पर 20,000 रूपए ब्राह्मणों पर खर्च कर दिया था। अब आप ही बताए, यह सुनकर बीरबल ने कहा तुम्हें ₹20000 चाहिए मिल जाएंगे। व्यापारी को शाही खजाने से ₹20000 दे दिए गए। नाई आया और व्यापारी की दाढ़ी काटने बैठा, जैसे ही नाई ने दाढ़ी पर उस्तरा लगाया तो व्यापारी ने नाई को एक थप्पड़ जड़ दिया और गुस्से में कहा, कैसे नाई हो तुम? तुम्हे अक्ल नहींं है, तुम्हे पता है यह बादशाह अकबर की दाढ़ी है और तुम इसे इस तरह से छिलोगे, भाग यहां सेे। यह देखकर बादशाह बिगड़ गए उन्होंने व्यापारी को दरबार से बाहर कर दिया। तब बीरबल ने कहा, देखा जहांपना मुल्ला जी तो ₹10 में दाढ़ी कटवा कर चले गए और व्यापारी ₹20000 भी ले गया और अपनी दाढ़ी भी बचा गया।

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👉 अकबर बीरबल की कहानी- मुझे भगवान दिखा दो।

एक बार अकबर ने बीरबल से कहा कि मुझे भगवान दिखा दो क्योंकि बादशाह अकबर का हुक्म था इसलिए बीरबल बहुत परेशान था कि बादशाह अकबर को भगवान कैसे दिखाएं? इसी विचार को लेकर बीरबल छुट्टी पर चला गया और उदास रहने लगा। एक दिन बीरबल के परिवार वालों ने उदासी का कारण पूछा तो बीरबल ने बताया कि बादशाह अकबर भगवान का दर्शन करना चाहते हैं। बीरबल का बेटा बोला, कल सुबह आप मुझे अपने साथ बादशाह अकबर के दरबार ले चलिए। मैं अपने आप बादशाह अकबर को भगवान का दर्शन करवा दूंगा। दूसरे दिन सुबह बीरबल अपने बेटे के साथ दरबार में पहुंचा और बादशाह अकबर से कहां- हुजूर मेरा बेटा आपके प्रश्नों का उत्तर देगा। बादशाह अकबर ने सोचा यह लड़का क्या कर सकता है? यह सुनकर बीरबल का बेटा बोला- इस वक्त मैं आपका गुरु हूं और मुझे उचित स्थान दिया जाए l राजा ने बीरबल के बेटे के लिए अपने से थोड़ा ऊंचा स्थान दिया। लड़का बोला- महाराज एक दूध का कटोरा मंगवाइए, अकबर ने दूध का कटोरा मंगवाया फिर लड़का बोला- महाराज इस दूध में घी है। अकबर बोला हां, हैै। पहले आप मुझे उसका दर्शन कारवाव। अकबर बोला तुम मूर्ख हो।

 घी के दर्शन ऐसे थोड़े होते है, पहले दूध को गर्म करना पड़ता हैै फिर उसका दही जमाना पड़ता है, फिर उसको महा जाता है, फिर उससे मक्खन निकलता है, फिर उसे गरम कड़ाही में डाला जाता है, फिर उसकी मैल निकाली जाती है तब जाकर घी के दर्शन होते हैं। ऐसे ही थोड़ी घी के दर्शन हो होते हैं। लड़के ने बोला- सही उत्तर है, आपके प्रश्न का पहले इंसान को तपना पड़ता है, फिर उसको जमना पड़ता है, फिर उसको साधना करनी पड़ती है, फिर उसको ज्ञान की अग्नि में तपना होता हैै, फिर उस ईश्वर के दर्शन होते हैं। अकबर समझ गया की लड़का क्या कहना चाह रहा है और बोला तुम वाकई में मेरा गुरु हो। ईश्वर को जानने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है, वैसे हर आत्मा में ईश्वर का अंश होता है और उसको भी ईश्वर का ही एक रूप मानना चाहिए तभी जा कर सुख की प्राप्ति होती है। संसार का यह भी एक नियम है।



👉 अकबर बीरबल की कहानी- सौदागर की पहेली।


एक दिन राजा अकबर का दरबार लगा हुआ था। एक सौदागर, राजा अकबर के दरबार में आया। दरबार में आने पर राजा अकबर ने सौदागर से पूछा, आखिर तुम किस चीज के व्यापारी हो? सौदागर ने जवाब दिया- हुजूर, मैं कुछ औरतों का सौदागर हूं और मैं हर राज्य में जाकर राजा को एक बुझारत बताता हूं और साथ में, हीरे जवाहरात के भी शर्त लगाता हूंं, परंतु अभी तक किसी भी राज्य के राजा मुझसे शर्त नहीं जीत पाए। सौदागर ने राजा अकबर से कहा- हुजूर, मैं आपको एक बुझारत बताता हूं अगर आपनेे यह पहेली हल कर दी तो जितने पर मेरे पास जितने भी हीरे जवाहरात है, वे सब के सब आपको दे दूंगा और अगर अपने ये पहेली नही सुलझा पाए तो जितने भी मेरे पास हीरे जवाहरात है, उतने आपको मुझे देने होंगे। बोलिए मंजूर है आपको यह शर्त? यह सुनते ही सारा दरबार में सन्नाटा छा गया। अब राजा अकबर को ये पहेली उनकी इज्जत का सवाल लगने लगी। राजा अकबर ने सौदागर की शर्त को स्वीकार कर लिया।
 सौदागर ने पहली पहेली पूछा-

"कोकल वेहल कोकल वेहल, काटी न जाए कोकल वेहल;
कई कुल्हाड़ियों का लग गया ढेर, कोकल वेहल कोकल वेहल काटी न जाए कोकल वेहल।।

पहेली पूछने के बाद सौदागर ने राजा को 4 दिनों का समय दिया और वहां से चला गया। पूरे दरबार में, पहले किसी ने भी ऐसी पहेली नहीं सुनी थी। पहला दिन बीत गया लेकिन बादशाह अकबर को इस पहेली का कोई उत्तर नहीं मिला। दूसरा दिन भी बीत गया। अकबर का वजीर बीरबल इस पहेली को सुलझाने की पूरी कोशिश कर रहा था। वह सोच ही रहा था कि वो चीज जो काटी नहीं जा सकती लेकिन हम उसको देख सकते हैं और इस पहेली का जवाब भी वही है जिसको हम देख सकते हैं लेकिन काटी नहीं जा सकती। यह सोचते सोचते वह एक बगीचे में पहुंच गया। बगीचे में बीरबल ने देखा कि कुछ आदमी पेड़ लगा रहे थे। बीरबल उन आदमियों के पास पहुंच गया। अचानक एक मजदूर ने ज़मीन पर पड़ रही बीरबल की परछाई पर गड्ढा खोदने के लिए एक डक मारा तो उसे उस पहेली का जवाब मिल गया।

जब बीरबल ने देखा उसकी परछाई उस गड्ढे के अंदर चली गई है तो फिर तो बीरबल को उसकी पहेली का उत्तर मिल गया क्योंकि किसी भी चीज के साथ परछाई को काटा नहीं जा सकता है। बीरबल तुरंत महल पहुंचा और उस सौदागर को बुलाया। सौदागर के आते ही बीरबल ने उस सौदागर से कहा- आपकी पहेली का उत्तर मिल चुका है। आपकी पहेली का उत्तर 'परछाई' है क्योंकि परछाई को किसी भी चीज से नहीं काट सकता। सौदागर, बीरबल का यह जवाब सुनकर हैरान रह गया क्योंकि इससे पहले उसे किसी ने भी सही उत्तर नहीं दिया था। सौदागर शर्त के मुताबिक अपना पूरा हीरे जवारत दे कर वहां से चला गया। बादशाह अकबर, बीरबल से बहुत खुश हुआ और उसे बहुत सारा ईनाम भी दिया क्योंकि ये पहेली बादशाह अकबर की इज्ज़त पर बन आई थी।


👉 अकबर बीरबल की कहानी- बीरबल की खिचड़ी

अकबर बीरबल की कहानियों में यह एक प्रसिद्ध कथा है और अब तो "बीरबल की खिचड़ी" को मुहावरे के तौर पर भी प्रयोग किया जाता है। जिसका अर्थ यह है-  "किसी भी सरल काम को बहुत कठिन बताना या फिर किसी छोटे से काम को करने में बहुत ज्यादा समय लगा देना"। खैर, इससे संबंधित कथा इस प्रकार है।

सर्दियों का मौसम था। अकबर और बीरबल यमुना नदी के किनारे टहल रहे थे। अकबर ने बीरबल से पूछा, इस कड़ाके की ठंड में कोई सारी रात इस नदी में खड़ा होकर बिता सकता हैै? बीरबल ने जवाब दिया हुजूर, कोई ना कोई तो जरूर ही मिल जाएगा ऐसा। अकबर ने बीरबल से कहा यह बात तुम यकीन के साथ कैसे कह सकती हो?  हुजूर, पैसे में बहुत ताकत होती है पैसों के लिए कोई भी गरीब आदमी यह काम कर सकता है। बीरबल की इस बात को गलत साबित करने के उद्देश्य से अकबर ने दरबार में घोषणा कर दी कि जो भी यमुना नदी में रात भर खड़ा रहेगा, उसे 500 अशरफिया इनाम में दी जाएगी। 

बीरबल समझ गया कि अकबर ने यह घोषणा क्यों की है? वह धोबियों की बस्ती में गया और इस काम को करने के लिए एक धोबी को तैयार कर लिया। धोबी दरबार में अकबर के सामने उपस्थित होकर बोला- आलमपनाह, मैं आपकी शर्त स्वीकार करता हूं। अकबर ने सारी व्यवस्था करवा दी। रात में धोबी को नदी के किनारे लाया गया। धोबी नदी में उतर गया। अकबर ने वहां दो पहरेदार खड़े करवा दिए और खुद महल वापस लौट गया। अगले दिन धोबी दरबार में पेश हुआ और अपने हक के ईनाम की मांग करने लगा। अकबर ने दोनों पहरेदार से पूछा- उन पहरेदारों ने भी धोबी के रात भर नदी में खड़े रहने की पुष्टि कर दी। अकबर ने धोबी की प्रशंसा की और धोबी से पूछा की इतनी ठंड में तुम रात भर नदी में खड़े रहे, क्या तुम्हें ठंड नहीं लगी ?

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धोबी ने जवाब दिया। हुजूर, मैं रात भर राजमहल के बुर्ज पर जलती हुई लालटेन को देखता रहा। बादशाह अकबर ने कहा, ओह! इसका मतलब तुम लालटेन की गर्मी पाकर ही रात भर नदी में खड़े रह सके, तब तो तुम इस इनाम के हकदार नहीं हो। तुम जा सकते हो। बेचारा धोबी, अकबर के सामने क्या बोलता। चुपचाप दरबार से चला गया। दरबार में बीरबल भी बैठा था, यह बात उसे बहुत बुरी लगी। बीरबल ने तय किया की धोबी को उसका हक दिलाकर रहेगा। अगले दिन जब बीरबल दरबार में ना आया तो अकबर ने एक सिपाही भेजकर उसे बुलवाया। बीरबल ने सिपाही से यह कहकर वापस भेज दिया कि वह खिचड़ी पका रहा है, जब खिचड़ी पक जाएगी तब खा कर ही दरबार में आऊंगा। सिपाही ने अकबर को बीरबल का संदेश सुना दिया। जब काफी देर तक बीरबल ना आया तो अकबर ने पुनः अपने आदमी भेजें। 

इस बार भी बीरबल ने वही जवाब भिजवाया। कई बार आदमी भेजने के बाद भी जब एक ही जवाब आता रहा तो अकबर ने स्वयं बीरबल के पास में जाने की ठानी। जब अकबर वहां पहुंचे तो देखा कि बीरबल ने 10 फीट ऊंचे तीन बांसों पर, ऊपर एक हांडी लटकी हुई है और नीचे आग जल रही है। अकबर यह नजारा देखकर बीरबल से पूछा, यह क्या कर रहे हो बीरबल? बीरबल ने जवाब दिया- जहांपनाह खिचड़ी पका रहा हूं। अकबर ने पूछा, यह कौन सा तरीका है? खिचड़ी पकाने का? हांडी को तो तुमने 10 फीट ऊपर लटका रखी है। आग की गर्मी कैसे पहुंचेगी, उस हांडी तक? बीरबल तो बस इसी मौके के इंतजार में था। उसने तुरंत जवाब दिया क्यों नहीं पहुंच सकती हुजूर, जब महल के बुर्ज पर जलती लालटेन की गर्मी नदी में खड़े एक आदमी तक पहुंच सकती है तो यह हांडी तो आगे से मात्र 10 फीट ही दूर हैै। बादशाह अकबर, बीरबल की बात का आशय समझ गए। उन्होंने तुरंत धोबी को दरबार में बुलवा और उसे उसका इनाम दिया।
धन्यवाद!

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