Short Akbar Birbal Stories hind- अकबर बीरबल की कहानी।


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अकबर बीरबल की कहानी- 


अकबर का कर्ज़ और चतुर लड़की।

सबसे गंदी जगह।

 जायदाद एक और मालिक दो?

 छड़ी की लंबाई।

 कुएं का पानी।

 कौन है असली मां?



👁️‍🗨️ अकबर बीरबल की कहानी- अकबर का कर्ज़ और चतुर लड़की!

एक गरीब आदमी था। एक दिन वो राजा अकबर के पास गया और बोला- महाराज! मैं आपसे कर्ज मांगने आया हूं। कृपया कर आप मुझे 5000 रूपए उधार दे। मैं 5 वर्ष के अंदर आपके रुपए वापस कर दूंगा। राजा अकबर ने उसकी बातों पर विश्वास कर उसको ₹5000 दे दिए। पांच  वर्ष बीत जाने के बाद भी जब उस व्यक्ति ने अकबर के ₹5000 नहीं लौटाए तब राजा को मजबूरन उसके घर जाना पड़ा लेकिन वहां वह व्यक्ति नहीं मिला। जब भी राजा उस व्यक्ति के घर जाता उसे बहाना बनाकर वापस भेज दिया जाता। एक दिन फिर अकबर पर उस व्यक्ति के घर गया, वहा और कोई नहीं दिखा। एक छोटी लड़की बैठी थी। राजा ने उसी से पूछा- तुम्हारे पिताजी कहां है? लड़की बोली- पिताजी स्वर्ग का पानी रोकने के लिए गए हैं। राजा ने फिर उस लड़की से पूछा- तुम्हारा भाई कहां है? लड़की बोली- बिना झगड़ा के झगड़ा करने गए हैं। राजा के समझ में एक भी बात नहीं आ रही थी। इसलिए वह फिर उस लड़की से पूछता है- तुम्हारी मां कहां है? लड़की बोली- मां एक से दो करने गई है। राजा उस लड़की के उटपटांग जवाब सुनकर गुस्सा हो गया। राजा उस लड़की के उटपटांग जवाब सुनकर गुस्सा हो गया। राजा गुस्से से उस लड़की से पूछा और तुम यहां बैठे क्या कर रही हो? लड़की बोली- मैं घर बैठी संसार देख रही हूं। राजा अब समझ चुका था कि लड़की उसकी किसी भी बात का सीधा जवाब नहीं देगी इसलिए राजा ने सोचा की अब उससे इन सब बातों का मतलब जानने के लिए प्यार से बतियाना पड़ेगा। राजा ने अपने चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लाकर पूछा- बेटी तुमने जो अभी-अभी मेरे सवालों के जवाब दिए उनका मतलब क्या है? मैं तुम्हारी एक भी बात का मतलब नहीं समझ सका। तुम मुझे सीधे-सीधे उनका मतलब समझाओ। 

लड़की ने भी मुस्कुरा कर पूछा- अगर मैं आपको सभी बातों का मतलब समझा दूं तो आप मुझे क्या देंगे? राजा के मन में सभी बातों को जानने के बहुत इच्छा थी इसलिए राजा उस लड़की से बोला- जो मांगोगे वो दूंगा। लड़की बोली- यदि आप मेरे पिताजी का सारा कर्ज माफ कर देंगे तो मैं आपको सारी बातों का अर्थ बता दूंगी। राजा ने कहा ठीक है। मैं तुम्हारे पिताजी का सारा कर्ज माफ कर दूंगा। अब तो सारी बातों का अर्थ समझा दो। लड़की बोली- महाराज आज मैं आपको सारी बातों का अर्थ नहीं समझा सकती। कृपया कर, आप कल आए। कल मैं जरूर बता दूंगी। राजा अगले दिन फिर उस व्यक्ति के घर गया। आज वहां सभी लोग मौजूद थे। वह आदमी उसकी पत्नी, बेटा और बेटी भी, राजा को देखते ही लड़की ने पूछी- महाराज आपको अपना वचन याद है ना? राजा बोला- हा! मुझे याद है। तुम अगर सारी बातों का अर्थ बता दो तो मैं तुम्हारे पिताजी का सारा कर्ज माफ कर दूंगा। लड़की बोली- सबसे पहले मैंने यह कहा था कि पिताजी स्वर्ग का पानी रोकने गए हैं- (इसका मतलब था की वर्षा हो रही थी और हमारे घर की छत से पानी टपक रहा था। पिताजी पानी रोकने के लिए छत को बना रहे थे यानी वर्षा का पानी आसमान से ही गिरता है और हम लोग तो यही मानते हैं कि आसमान में ही स्वर्ग है)  बस पहली बात का अर्थ यही है।


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 दूसरी बात मैं नहीं यह कही थी कि भैया बिना झगड़े के झगड़ा करने गए हैं- ( इसका मतलब था कि वे रेंगनी के कांटों को काटने गए थे। अगर कोई भी रेंगनी के कांटे को काटेगा तो उसके शरीर में जहां-तहां कांटा गड़ ही जाएगा यानी झगड़ा नहीं करने पर भी झगड़ा होगा और शरीर पर खरोचें आयेंगी। ) राजा उसकी बातों से सहमत हो गया। वह मन ही मन उस लड़की की चतुराई की प्रशंसा करने लगा। राजा ने उत्सुकता के साथ पूछा तीसरी और चौथी बातों का मतलब क्या है, बेटी?  लड़की बोली महाराज तीसरी बात मैंने यह कही थी की मां एक से दो करने गई है- ( इसका मतलब था की मां अरहर दाल को पिसाने यानी उसकी एक का दो करने गई है। अगर अरहर दाल को पीसा जाए तो उसके एक दाना का दो भाग हो जाता है। यही था एक का दो करना ) अब रही चौथी बात तो उस समय मैं भात बना रही थी और उसमें से एक चावल निकाल कर देख रही थी की बात पूरी तरह पका है कि नहीं। इसका मतलब यह है कि मैं एक चावल देखकर जान जाती कि पूरा चावल पका है या नहीं अर्थात चावल के संसार को मैं घर बैठी देख रही थी। यह कहकर लड़की चुप हो गई।

 राजा अकबर अब सारी बातों का अर्थ जान चुका था। लड़की की बुद्धिमानी भरी बातों ने उसे आश्चर्य में डाल दिया था। फिर राजा ने उस लड़की से कहा- बेटी तुम तो बहुत चतुर हो पर एक बात समझ नहीं आई कि यह सारी बातें तो तुम मुझे कल भी बता सकती थी फिर तुमने मुझे आज क्यों बुलाया? लड़की हंस कर बोली- मैं तो बता ही चुकी हूं कि कल जब आप आए थे तो मैं भात बना रही थी। अगर मैं आपको अपनी बातों का मतलब समझाने लगती तो भात गीला हो जाता या जल जाता और घर में भी कल कोई भी नहीं था। अगर मैं इनको बताती कि आपने कर्ज माफ कर दिया है तो ये मेरी बात का विश्वास नहीं करते। आज स्वयं आपके मुंह से सुनकर कि आपने कर्ज माफ कर दिया है, इन्हें उसका विश्वास हो जाएगा और इन्हे खुशी भी होगी। राजा लड़की की बात सुनकर बहुत ही प्रसन्न हुआ। राजा ने अपने गले से मोतियों का माला निकाल कर लड़की को देते हुए कहा- बेटी यह लो अपनी चतुराई का पुरस्कार। तुम्हारे पिताजी का कर्ज तो मैं माफ कर चुका हूं, अब तुम्हें या तुम्हारे घर वालों को मुझसे बहाना नहीं बनाना पड़ेगा। अब तुम लोग निश्चिंत होकर रहो। अगर फिर कभी किसी चीज की जरूरत हो तो मुझसे बे-झिझक होकर कहना। इतना कहकर राजा लड़की को आशीर्वाद देकर चला गया। लड़की के परिवार वालों ने उसे खुशी से गले लगा लिया।


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👁️‍🗨️ अकबर बीरबल की कहानी - सबसे गंदी जगह।

बीरबल दरबार में पान चबाता हुआ पाया गया। यह देख कर बादशाह अकबर नाराज हो कर बोले- बीरबल, यह दरबार है और तुम यहां पान चबाते हुए आ गए। अब पान थूक कर यहां गंदा करोगे।
हुजूर पान तो थूकना ही पड़ेगा। आप जहां हुक्म देंगे वहीं थूक दूंगा। बीरबल ने कहा।

बादशाह अकबर ने चारों तरफ नजर दौड़ाई, फिर बोले जो जगह सबसे गंदी हो वहीं थूकना। यह बात बादशाह अकबर ने इसलिए कही क्योंकि उनका दरबार साफ़ सुथरा था। कहीं भी कोई गंदी जगह नहीं थी। बादशाह अकबर को यकीन था कि बीरबल को दरबार से उठ कर बाहर ही जाना पड़ेगा पान थूकने के लिए। कुछ देर बाद, बीरबल को पान थूकने की इच्छा हुई, वो उठा और बादशाह अकबर के साले साहब के जेब में थूक दिया। यह देख कर बादशाह बिगड़ गए और गुस्से से बोले- बीरबल यह क्या गुस्ताखी है? 

बीरबल ने कहा- हुजूर मैने तो आपकी आज्ञा का पालन किया है। आपने ही तो कहा था कि पान सबसे गंदी जगह पर थूकना, तो मुझे आपके साले साहब की जेब अधिक गंदी जगह नजर नहीं आईं। आप चाहे तो स्वयं ही देख ले की उनकी जेब कितनी गंदी है। वास्तव में, उस दिन बादशाह के साले साहब ने मैला कुर्ता पहन रखा था और उसकी जेब तो बहुत ही गंदी थी। बीरबल का जवाब सुन कर बादशाह का सारा गुस्सा शांत हो गया और चेहरे पर हसीं दौड़ गई।


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👁️‍🗨️  अकबर बीरबल की कहानी- जायदाद एक मालिक दो?

एक बार बादशाह अकबर के दरबार में दो आदमी अपनी एक बड़ी परेशानी ले कर अकबर के महल के अंदर ही झगड़ा करने लगे तभी बादशाह अकबर ने पूछा क्या हुआ? तुम दोनो किस बात को लेकर झगड़ा कर रहे हो तभी उन दोनों में से एक आदमी ने कहा कि महाराज मेरा नाम अमीर चन्द है और मैं एक बहुत बड़ा व्यापारी हूं। इस गांव के बाहर मेरी कई एकड़ जमीन भी है और ये आदमी मेरा नौकर है। मैने इस पर विश्वास कर के इसको अपना व्यापार सौंप कर, कुछ महीनों के लिए किसी दूर गांव में गया हुआ था लेकिन जब मैं वापस आया तो उसने सब कुछ अपने नाम करवा लिया था। इतने में ही जल्दी से दूसरा आदमी बोला- नही हुजूर, मैं हूं जायदाद का असली मालिक और इसने जो भी कहा वो सब झूठ है। दरअसल, ये मेरा नौकर है और गांव के बाहर मेरी कई एकड़ जमीन भी है और मैं कुछ महीनों के लिए गांव से बहुत दूर व्यापार के लिए गया हुआ था लेकिन जब मैं वहां से वापस आया तो मुझे पता लगा की मेरे इस नौकर ने मेरी सारी जमीन अपने नाम करवा ली है और इसने मेरे सारे ऊंट, बकरे बकरी सब कुछ बेच दिया। सारी दौलत अपने नाम कर ली इसलिए हुजूर आप ही मेरा न्याय कीजिए।

अकबर उन दोनों की पूरी बात सुन कर सोच में पड़ गए। बादशाह अकबर ने अपने सभी मंत्रियों से पूछा की यहां ऐसा कोई है जो की इन दोनों आदमियों में से बता सके की इसमें से असली मालिक कौन है?  बादशाह अकबर के सभी मंत्रियों में से किसी के पास उसका हल नहीं था तभी बीरबल झट से खड़ा हो गया। खड़ा हो कर बोला-  महाराज ये परेशानी तो मैं चुटकियों में हल कर सकता हूं। बीरबल के मुंह से ये सुन कर बादशाह अकबर ने उससे कहा की बीरबल अगर तुमने आज ही इन दोनों में से इनकी जायदाद के असली मालिक का पता लगा लिया तो आज मैं तुम्हे सोने की 100 अशर्फियां ईनाम में दूंगा। तभी बीरबल ने उन दोनों आदमियों को अपने पास बुला कर कहा-  तुम्हे सायद पता नही है की मेरा नाम बीरबल है और मैं किसी भी इंसान के दिमाग में चल रही हर बात को पढ़ कर बता सकता हु और चाह कर भी तुम दोनों मुझसे सच को छुपा नहीं सकते इसलिए बेहतर यही होगा कि तुम खुद ही सब कुछ सच सच बता दो.. लेकिन दोनों में से किसी ने भी कुछ नहीं बोला तो बीरबल ने कहा- अच्छा तो तुम लोग सच नहीं बताओगे। तो ठीक है, तुम दोनो ऐसा करो की पेट के बल ज़मीन पर लेट जाओ और अपनी आंखे बंद कर लेना तभी वो दोनों ही अपनी आंखे बंद कर के ज़मीन पर लेट गए तभी बीरबल ने कहा कि अब मैं अपनी आंखे बंद कर के तुम्हारे दिमाग में चल रही सारी बाते पढ़ता हूं फिर मैं सबको बता दूंगा की कौन सच्चा है और कौन झूठा लेकिन जब तक मैं न कहूं तब तक तुम दोनों में से कोई भी अपनी आंखे मत खोलना।




 इतना कहकर बीरबल ने कुछ देर अपनी आंखे बंद कर के एक तरकीब सोची तभी अचानक बीरबल ने अपनी आंखे खोल कर चिल्लाते हुए एक सैनिक से कहा- सैनिक जाओ और उस झूठे नौकर धोखेबाज का गला अभी के अभी काट दो, तभी सैनिक को समझ नहीं आया की बीरबल जी ने किसका गला काटने को कहा लेकिन जैसे ही वो सैनिक अपनी पैनी तलवार ले कर उन दोनों की तरफ बढ़ा और जैसे ही वो सैनिक उन दोनों के नजदीक पहुंचा, वैसे ही उन दोनों में से पहला आदमी डर के मारे खड़ा हो कर बीरबल के पैरों में गिर कर बोला- हुजूर मुझे माफ़ कर दीजिए और कृपया अपने सैनिक को आदेश दीजिए की वो मेरी गर्दन नहीं काटे। मैं आपको सब कुछ सच सच बताता हूं। तभी बीरबल ने कहा- माफ़ी मुझसे नहीं महाराज अकबर जी से मांगो, वही कर सकते हैं आपको माफ़ तभी वो आदमी अकबर के पैरों में गिर कर बोला- हुजूर मैने इस आदमी की दौलत चुराई है और मैं मालिक नहीं हू, अमीर चंद का नौकर हूं। इनकी इतनी जमीन जायदाद और दौलत को देख कर मेरे मन में खोट आ गया था। ऐसा कह कर वो झूठा नौकर बहुत रोता हुआ बादशाह अकबर से माफ़ी मांगने लगा। 

इस तरह बीरबल ने अपनी अक्लमंदी से झूठ और सच का पता लगा लिया और अमीर चंद को उसकी सारी जायदाद वापस मिल गई। बादशाह अकबर ने खुश होकर, बीरबल को उसका ईनाम 100 सोने की अशर्फियां सबके सामने बड़े ही सम्मान के साथ दिया।

👁️‍🗨️ अकबर बीरबल की कहानी- छड़ी की लंबाई!

आगरा में एक धनी व्यापारी रहता था। एक दिन उसके घर चोरी हो गई। व्यापारी को अपने नौकरों पर शक हुआ, पर उसे यह नहीं पता चल पाया की उनमें से कौन चोर है? अतः वह बीरबल के पास सहायता मागने गया। व्यापारी की पूरी बात सुनने के बाद, बीरबल ने उसे अपने घर ले चलने के लिए कहा, व्यापारी के घर उन्होंने सभी नौकरों को बुलाया और उन सब से कहा- तुम सभी को चोरी के बारे में पता है, जिसने भी ये किया है वो आगे आ कर गलती मान ले, मैं वादा करता हु, उसे माफ कर दिया जाएगा। किंतु कोई भी आगे नही आया। सभी कहने लगे के वे बेगुनाह है।

 बीरबल ने सभी नौकरों को एक एक लकड़ी की छड़ी दी और कहा तुम सब इसे संभाल कर रख लो। ये साधारण छड़ी नहीं है, जादुई छड़ी है। जो भी चोर होगा सुबह उसकी छड़ी 2 इंच लंबी हो जायेगी। जो चोर था उसे बहुत चिंता हुई। वो पूरी रात सो नहीं सका। उसे पता था की सुबह उसकी बढ़ी हुई छड़ी की लंबाई देख कर वो पकड़ा जाएगा तभी उसके दिमाग में एक विचार आया। वो उठा और उसने अपनी छड़ी दो इंच काट दी, उसने सोचा की अगर अब यह बढ़ी तो भी दूसरों की छड़ी के बराबर रहेगी। अगले दिन बीरबल व्यापारी के घर गए। 

वहा सभी नौकरों को अपनी अपनी छड़ी ले कर आने को कहा, सभी की छड़ियां देखने के बाद उनमें से उन्होंने एक नौकर को बाहर खींचते हुए व्यापारी से कहा- ये रहा चोर। उस नौकर की चोरी पकड़े जाने के बाद वो बीरबल के पैरों में गिर गया और माफी मांगने लगा। व्यापारी ने बीरबल को धन्यवाद दिया और पूछा की क्या वाकई में चोर की छड़ी 2 इंच बढ़ गई थी। बीरबल हंस कर बोला अरे नहीं, ये तो साधारण सी छड़ियां है। किंतु चोर जान गया था की उसकी छड़ी 2 इंच बढ़ जाएगी। अतः इस डर से उसने अपनी छड़ी 2 इंच काट कर छोटी कर ली और मैने ऐसे ही आदमी को ढूंढा, जिसकी छड़ी 2 इंच छोटी हो। बीरबल की चतुराई से चोर पकड़ा गया है। 




👁️‍🗨️ अकबर बीरबल की कहानी- कुएं का पानी।

एक बार एक आदमी ने अपना कुआं एक किसान को बेच दिया। अगले दिन किसान जब कुएं के पास गया और कुएं से पानी खींचना शुरू किया तो उस वेक्ति ने किसान को पानी लेने से मना कर दिया। वह आदमी किसान से बोला, मैंने तुम्हे सिर्फ कुआं बेचा है, कुएं का पानी नहीं। किसान यह सुन कर बहुत दुखी हुआ और उसने अकबर के दरबार में गुहार लगाई। उसने दरबार में सब बताया और अकबर से इंसाफ की मांग की। अकबर ने यह समस्या अपने दरबार के सबसे बुद्धि वेक्ती बीरबल को हल करने के लिए दी। बीरबल ने उस वेक्ति को बुलाया, जिसने कुआं किसान को बेचा था। 

बीरबल ने उस वेक्ति से पूछा तुम किसान को कुएं का पानी क्यों नहीं लेने देते? आखिर तुमने कुआं किसान को बेचा है। उस वेक्ति ने जवाब दिया- हुजूर मैने सिर्फ कुआं बेचा है, उस कुएं का पानी नहीं। किसान का उस कुएं के पानी पर कोई अधिकार नहीं है। बीरबल मुस्कुराए और बोले, देखो तुमने कुआं किसान को बेच दिया है और तुम कहते हो कि पानी तुम्हारा है तो तुम्हे अपना पानी किसान के कुएं में रखने का कोई अधिकार नहीं है। अब या तो अपना पानी किसान के कुएं से निकाल लो या तो फिर किसान को किराया दो। बीरबल के इतना कहते ही अब उस आदमी को समझ आ गया की अब उसकी चालाकी काम नहीं आने वाली। उसने राजा अकबर से माफ़ी मांगी और माना की कुएं के साथ पानी पर भी उस किसान का पूरा अधिकार है।




👁️‍🗨️ अकबर बीरबल की कहानी- कौन है असली मां?

एक बार बादशाह अकबर के दरबार में बहुत ही अजीब मुकदमा आया, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। दरअसल हुआ कुछ ऐसा की बादशाह अकबर के दरबार में दो महिला रोती हुई पहुंची। उनके साथ एक 2 या 3 साल का छोटा सा बच्चा भी था। दोनो महिलाए रो रही थी और साथ ही दोनो दावा भी कर रही थी की वो बच्चा उनका है। अब समस्या ये थी की दोनो गांव से बाहर रहती थी, जिस कारण उसे कोई नहीं जानता था इसलिए ये बताना मुश्किल था की उस छोटे से बच्चे की असली मां कौन है?  अब अकबर के सामने मुसीबत आ गई की न्याय कैसे करें और बच्चा किसको दे? इस बारे में राजा अकबर ने अपने सभी दरबारियों को एक एक करके राय ली लेकिन कोई भी इस गुत्थी को नहीं सुलझा सका और तभी बीरबल दरबार में पहुंचा। बीरबल को देख कर बादशाह अकबर की आंख में मानो चमक आ गई हो, बीरबल के आते ही बादशाह अकबर ने बीरबल को इस समस्या के बारे में बताया।

 अकबर ने बीरबल से कहा की बीरबल अब तुम ही समस्या का समाधान करो बिल्कुल कुछ सोचते रहे और फिर जल्लाद को बुलाने के लिए कहा जल्लाद के आते ही बीरबल ने बच्चे को एक जगह बैठा दिया और कहां की एक काम करते हैं, इस बच्चे के दो टुकड़े कर देते है। एक एक टुकड़ा दोनों मांओं को दे देंगे। अगर इन दोनों महिलाओं में से किसी एक को यह बात मंजूर नहीं है तो जल्लाद उस महिला के दो टुकड़े कर देगा। यह बात सुनते ही उनमें से एक महिला बच्चे के टुकड़े करने की बात मान गई और बोली की मुझे आदेश मंजूर है। वह बच्चे के टुकड़े को ले कर चली जायेगी लेकिन दूसरी महिला बिलख बिलख कर रोने लगी और बोली मुझे बच्चा नहीं चाहिए। आप मेरे दो टुकड़े कर दो लेकिन बच्चे को मत काटो। यह बच्चा दूसरी महिला को दे दो। यह देखकर सभी दरबारी मानने लगे कि जो महिला डर की वजह से रो रही है, वही दोषी है लेकिन तभी बीरबल ने कहा की जो महिला बच्चे  के टुकड़े करने के लिए तैयार हैै, उसे कैद कर लो क्योंकि वही मुजरिम है। 

इस बात को सुन कर वो महिला रोने लगी और माफ़ी मांगने लगी लेकिन बादशाह अकबर ने उसेे जेल में डलवा दिया। बाद में, अकबर ने बीरबल से पूछा कि तुम्हें कैसे पता चला कि असली मां कौन है? तब बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा की महाराज मां सारी मुसीबतों को अपने सिर पर ले लेती हैै लेकिन  बच्चे पर एक आंच भी नहीं आने देती और यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ, जिससे पता चल गया की असली मां वो है, जो खुद के टुकड़े करवाने के लिए तैयार है लेकिन बच्चे की नहीं। बीरबल की बात सुन कर बादशाह अकबर एक बार फिर बीरबल की बुद्धि का कायल हो गए।


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