Short motivational stories in hindi- कुछ प्रेरणायक कहानी।

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🔷 अपने आप से प्यार करना सीखो 🔷

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक आदमी रहता था। उसके घर के पास में एक पहाड़ था, जहां पर वो रोज सुबह जाता, उस पहाड़ पर वो थोड़ी देर बैठता और फिर घर वापस आ जाता। रोज की तरह वो सुबह-सुबह जा रहा था, पीछे से उसका छोटा सा बेटा आ कर उसका हाथ पकड़ लिया और कहा कि पापा, आज मैं भी आपके साथ चलूंगा। उस आदमी ने तो पहले अपने बेटे को समझाया और मना किया। वह अपने बेटे से कहां की वो जो रास्ता है, वो बहुत ही छोटा है और चढ़ाई बहुत ही ज्यादा है और तुम मेरे साथ नहीं चल पाओगे लेकिन जब उसके बेटे ने जीत करी तो पिता मान गया। वह दोनों पहाड़ पर चढ़ने लगेे। पिता ने बेटे का हाथ कस के पकड़ हुआ था। वह दोनों पहाड़ की चोटी तक पहुंचने वाले थे तभी रास्ते में एक बड़ा सा पत्थर आया चूंकि पिता उस रास्ते से रोज आता था तो इसलिए उसे पता था की वहां पर पत्थर है इसलिए वह साइड से निकल गया लेकिन उसका जो बेटा था, वो उस रास्ते पर पहली बार गया था।


 उसका घुटना उस बड़े से पत्थर से टकरा गया तो फिर उस बच्चे के मुंह से आह! की चीख निकली, जैसे ही वह चीखा तो उसकी आवाज वहां की पहाड़ियों में गूंजने लगी। इससे पहले उस बच्चे ने कभी भी अपनी आवाज की गूंज नहीं सुनी थी तो उसे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। वह अंदर से थोड़ा सा घबरा गया। उस बच्चे को लगा कि शायद कहीं कोई है, जो छुप करके उसे देख रहा है और उसका मजाक उड़ा रहा है। फिर उस बच्चे ने बोला कौन हो तुम? फिर उसकी आवाज पहाड़ियों में गूंजने लगी। इस बार जब बच्चे ने उस गूंज को सुना तो उसे गुस्सा आने लगा। उसने सोचा कि कौन है ये जो मेरा मजाक उड़ाए चला जा रहा है? फिर उसने गुस्से से कहा कि मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं। इस बार जैसे उसने इस गूंज को सुना वह घबरा गया। उसके पिता जानते थे कि यह क्या हो रहा है? उस बच्चे ने अपने पिता का हाथ कस के पकड़ लिया और अपनी पिता से पूछा- कौन है ये जो मुझे इतना डरा रहा है?

 उसके पिता थोड़ा सा मुस्कुराए और उन्होंने खाई की तरफ देखा और जोर से बोला मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। उसके पिता की यह आवाज भी उन पहाड़ियों में गूंजने लगी। यह सुनकर वह बच्चा हैरान हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है? बच्चे ने सोचा वही इंसान जो मेरा मजाक उड़ा रहा है, मुझे डरा रहा है, मुझे तंग कर रहा है, वह मेरे पिता को बोल रहा है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। उसके पिता ने अपने बेटे की तरफ देख कर समझ गए की उसके मन में क्या चल रहा है? फिर दोबारा उसके पिता ने बोलाा, तुम बहुत अच्छे हो। इस आवाज की गूंज सुनकर  उस आदमी का बेटा थोड़ा सा मुस्कुराया और अपने पिता से पूछा कि यह क्या हो रहा है? उसके पिता ने उसको समझाया ये जो आवाज तुम सुन रहे हो, यह आवाज किसी और की नहीं है, बल्कि यह तुम्हारी ही आवाज है, जो पहाड़ों पर गूंज रही है और तुम्हें अपनी आवाज सुनाई दे रही है, जैसा तुम बोलते हो ठीक वैसा ही तुम्हें सुनाई देता है। अगर तुम गुस्से से कुछ कहोगे तो पलट कर के जो आवाज आएगी, उसमें भी गुस्सा होगा लेकिन अगर तुम कुछ अच्छा कहोगे तो वह आवाज भी अच्छी होगी। 


बिल्कुल इसी तरह हमारी जिंदगी में भी होता हैै, जैसा तुम अपने मन में इस जिंदगी के बारे में सोचते हो। यह जिंदगी तुम्हारे लिए बिल्कुल वैसे ही हो जाती हैै। अगर मन ही मन तुम अपने आप को यह बोलते रहोगे कि हमारी जिंदगी तो बहुत ही बुरी है तो तुम्हारी जिंदगी सच में बुरी हो जाएगी और अगर तुम अपनी जिंदगी से प्यार करोगे तो तुम्हारी जिंदगी भी तुमसे प्यार करेगी। ये बात उस बच्चे के दिमाग में बैठ गई और फिर वह दोनों उस पहाड़ की चोटी पर गए लेकिन बच्चे के दिमाग में यही बात चल रही थी और फिर वह बच्चा खिलखिला कर हंसा और फिर उसने अपने दोनों हाथ खोलें और अपनी पूरी ताकत से बोला मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।


🔷 अपनी नज़र को बादलों 🔷

एक बार की बात है, एक बहुत बड़ा नेता एक साधु के छोटे से आश्रम में गया क्योंकि उसने बहुत सुना था उस साधु के बारे में, तो उसके मन में आया कि मैं एक बार जा कर देखता हूं कि लोग इतनी तारीफ क्यों करते हैं? उस साधु की। जब वह उस आश्रम में गया तो वहां पर एक छोटा सा कमरा थाा, जहां पर एक कालीन बिछा हुआ था। वहां पर नीचे कुछ लोग बैठे हुए थे और साधु जी सामने बैठे हुए थे। कुछ सवाल जवाब चल रहा था। वह नेता अकेला नहीं था, उसके साथ चार बॉडीगार्ड भी थेे और उसको यह आदत थी कि जहां पर वह नेता जाता था तो लोग अपनी जगह से खड़े हो जाते थे, उसकी तरफ देखते थे, हाथ जोड़ते थे और अपना सर उसके सामने झुकाते थे लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। साधु ने उस नेता की तरफ देखा तक नहीं क्योंकि वह साधु किसी के सवाल का जवाब दे रहे था। नेता को इस बात पर गुस्सा आ गया। 


नेता को लगा कि यह मेरी बेइज्जती है तो उस नेता ने साधु की बात को बीच में ही काटते हुए, गुस्से से कहा- मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं। साधु ने उसकी तरफ देखा और कहा कि आप थोड़ी देर रुकिए, पहले मैं इनकी सवाल का जवाब दे दूं। उसके बाद, मैं आपसे बात करूंगा तब तक के लिए आप चाहे तो बैठ सकते हैं। बस साधु की इतना कहने की बात थी। नेता का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और फिर उसने अपना सारा गुस्सा उस साधु पर उतार दिया। अभी तक वह नेता, उस साधु से बहुत ही तमीज से बात कर रहा था यानी कि आप आप कह कर बात कर रहा था, अब वो तू तड़ाक पर उतर आया। नेता ने उस साधु से कहा, तुझे पता भी है मैं कौन हूं और तू किससे बात कर रहा है? साधु ने उस नेता की तरफ देखा और कहां कि इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैै लेकिन आप जो कोई भी है अगर आप चाहते हैं कि मैं आपसे बात करूं तो आपको थोड़ी देर रुकना होगा। साधु के इतना कहते ही नेता गुस्से से पागल हो गया और वही सबके सामने चिल्लाने लगा और साधु को कहने लगा।

 मैं तुझे तेरी असली औकात दिखाऊंगा। तूने मुझसे पंगा ले कर अच्छा नहीं किया हैै। तुझे पता भी है, मैं तेरे बारे में क्या सोचता हू? साधु ने फिर से उस नेता की तरफ देखा और बड़े ही प्यार से बोला, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप मेरे बारे में क्या सोचते हैं? आप जो चाहे वो मेरे बारे में सोच सकते है फिर उस नेता ने बोला तू सुनना चाहता है या नहीं लेकिन मैं तुझे यही सब के सामने बताऊंगा कि मैं तेरे बारे में क्या सोचता हूं। तू एक बहुत ही घटिया इंसान है, तू कोई साधु नहीं है, तू पाखंडी है, तू ढोंगी है और यहां पर जितने भी लोग बैठे हैं तू इन सबको बेवकूफ बना रहा हैै। तेरा बस एक ही मकसद है इन लोगों के पास जितना भी पैसा है, वो तेरे पास आए। तू अपने फायदे के लिए इन लोगों का इस्तेमाल कर रहा है और अब मैं तुझे नहीं छोड़ने वाला तेरा पर्दाफाश करके रहूंगा पूरी दुनिया के सामने में। उस नेता के इतना बोलने के बावजूद भी साधु के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान बनी ही रही।



 यह देखकर वह नेता और भी तिलमिला गया और बोला अब बहुत हुआ। अब मैं यहां एक मिनट भी नहीं रुकने वाला अभी भी तेरे पास मौका है। अगर मुझ से माफी मांगनी है या मुझसे कुछ कहना है तो कह ले। नेता के इतना सब कुछ कहने के बाद भी साधु बिल्कुल शांत रहा। साधु ने अपनी आंखें बंद कर ली फिर उसने अपनी आंखें खोली, हाथ जोड़े और उस नेता से कहा कि मुझे आपसे कोई गिला शिकवा नहीं है। मेरे मन में आपके लिए कोई गलत ख्याल नहीं है। मेरे बारे में जो भी आपने कहा वह आपकी अपनी सोच थी। मुझे आप में कोई भी बुराई नजर नहीं आ रही। मुझे आप बहुत ही भले इंसान लगते हैं। साधु के इतना कहते ही नेता का दिमाग सातवें आसमान पर चढ़ गया और उसके चेहरे पर थोड़ी सी खुशी आ गई क्योंकि साधु ने उसे वही कहा जो बाकी लोग उसे कहते हैं। 

यह सुनकर नेता खुशी-खुशी उस आश्रम से अपने घर की तरफ चला गया और जा कर के अपने पिताजी के साथ बैठ गया। उसके पिताजी की आंखें बंद थी क्योंकि वह ध्यान में थे l। थोड़ी देर बाद, उन्होंने जब अपनी आंखें खोली और देखा अपनी बेटे को अपने साथ बैठते हुए। उनके बेटे के चेहरे पर आज एक अजीब सी खुशी थी जो आज से पहले उन्होंने कभी नहीं देखी थी फिर नेता ने अपने पिता को एक-एक करके सारी बात बताई जब इसके पिता जी ने पूरी बात सुनी तो थोड़ा सा मुस्कुराए और अपने बेटे को देख कर बोले उन्होंने तुम्हारी तारीफ नहीं करी हैै उन्होंने वह नहीं कहा जो तुम हो बल्कि उन्होंने वह कहां है जो वे खुद है और तुमने जो कुछ भी साधु को कहा वो, वो नहीं कहा जो वे खुद है बल्कि तुमने वह कहा जो तुम खुद हो और यही बात वेदों में भी कही गई है
"यथा दृष्टि तथा सृष्टि"

यह दुनिया तुम्हें वैसी नहीं दिखती है जैसी की ये दुनिया हैै बल्कि यह दुनिया तुम्हें वैसे ही दिखती है जैसे कि तुम खुद हो। जिसकी नजर जैसी है, उसके लिए ये दुनिया वैसी ही है और अगर तुम अपनी दुनिया को बदलना चाहते हो तो उसका सिर्फ एक ही तरीका हैै। अपनी नजर को बदलो।


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