🔷 शांति का असली मतलब 🔷
एक बार की बात है, एक बहुत बड़ी आर्ट गैलरी ने एक प्रतियोगिता की घोषणा करी। उन्होंने उस प्रतियोगिता में घोषणा किया कि जो भी पेंटर शांति को को दर्शाने वाली, दुनिया की सबसे अच्छी तस्वीर बनाएगा, उसे 10 मिलियन डॉलर का इनाम दिया जाएगा। यह बात पूरी दुनिया में फैल गई और पूरी दुनिया में से हजारों पेंटरों ने अपनी अपनी पेंटिंग भेजी, उस प्रतियोगिता का हिस्सा बनने के लिए। इस प्रतियोगिता के जो न्यायाधीश थे, उन्होंने इस हजारोंं की पेंटिंग्स में से सिर्फ 100 पेंटिंग की लिस्ट बनाई और उन 100 पेंटिंगों को लोगों के सामने रख दिया, जिनमें पेंटर्स, मीडिया वाले और हजारों लोगों की भीड़ भी थी। चुकी, रकम इतना बड़ा था इसलिए सबको दिलचस्पी थी, यह जानने मेंं की कौन जीतेगा और वह पेंटिंग कैसी होगी? कौन होगा वो जिसको इतनी बड़ी रकम मिलेगी। आखिरकार वह घड़ी आ ही गई। जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार था। इन 100 पेंटिंग्स में सभी पेंटिंग एक से बढ़कर एक थी, जिसमें से एक पेंटिंग थी, जहां पर साफ पानी की एक नदी बह रही थी, नदी के साइड में पहाड़ थे, उसके ऊपर बर्फ जमी हुई थी और पीछे से सूर्य उदय हो रहा था। एक और पेंटिंग थी, उस पेंटिंग में एक तालाब बना हुआ था जिसका पानी बिल्कुल शांत स्थिर था।
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वह पानी इतना शांत था कि उसके आस पास में जो कुछ भी था, उस पानी में साफ नजर आ रहा था बिल्कुल एक आईने की तरह। सभी पेंटिंग ऐसी थी जिसको देखकर ही मन शांत हो जाए क्योंकि प्रतियोगिता बहुत ही कठिन थी इसलिए न्यायाधीशों के लिए यह निर्णय करना मुश्किल हो गया था कि कौन सी पेंटिंग सबसे अच्छी हैै? आखिरकार वो पल आ ही गया, जब न्यायाधीशों ने एक पेंटिंग का चुनाव कर लिया और उस पेंटिंग को एक बड़े से पर्दे के पीछे रख दिया और सामने वे पेंटर्स, मीडिया वाले और हजारों लोगों की भीड़ थी। जैसे ही वह पर्दा हटा और सब ने उस पर्दे के पीछे की पेंटिंग को देखा तो सब हैरान हो गए। सब एक दूसरे को देखने लगे। किसी को यह समझ नहीं आ रहा था कि यह हो क्या रहा है क्योंकि सामने जो पेंटिंग दिख रही थी, वह दूर दूर तक शांति को नहीं दरसाती थी तो सबको लगा की शायद art gallery वालों से से कोई गलती हो गई हैै और किसी गलत पेंटिंग को वहा पर रख दिया है तो सभी लोग उस आर्ट गैलरी के पास गए और उससे पूछा कि आपसे कोई गलती तो नहीं हुई हैै तो आर्ट गैलरी वालों ने कहा कि नहीं नयायदिशों से कोई गलती नहीं हुई है। उन्होंने इसी पेंटिंग का चुनाव किया हैै।
मीडिया वाले लोग भागते हुए न्यायदिशों के पास गए और माइक को उनके मुंह में घुसेड़ दिया। न्यायदिश मुस्कुराए और मीडिया वालों से बोले, इससे पहले की आप लोग हमसे कुछ पूछे, हम लोग आप लोगों से कुछ कहना चाहते है। एक बार उस पेंटिंग को ध्यान से देखिए, थोड़ा पास से देखिए, शायद आप लोगों को उस पेंटिंग में ऐसा कुछ नजर आए जो दूर से नहीं नजर आ रहा हैै क्योंकि आप सभी लोगों ने ये तो देख ली की इस पेंटिंग में आंधी है, तूफान है, आसमान में बिजली कड़क रही है, बादल गरज रहे हैं, चारों तरफ सब कुछ तहस नहस हो रहा है। ये सब तो आप लोगों ने देख लिया लेकिन एक चीज आप सभी ने नहीं देखी जो की इस पेंटिंग में एक घर भी है और इस घर में एक छोटी सी खिड़की भी है जहां पर एक आदमी खड़ा हैै। ध्यान से इस आदमी को देखिए। वो जो आदमी खिड़की के पास खड़ा हो कर बाहर देख रहा है, उसके चेहरे पर डर नही है बल्कि एक हल्की सी मुस्कान है। एक सुकून है, उसके चेहरे में और यही है शांति का असली मतलब।
शांति का मतलब ये नहीं है की हमारे बाहर सब कुछ शांत है और फिर हम शांत है असली शांति का मतलब यह है कि हमारे बाहर चाहे जो कुछ भी हो रहा हो लेकिन हम अंदर से पूरी तरह शांत हो। हमारा मन शांत हो। जिसका मन शांत नहीं है, उसको चाहे आप कितनी भी सुंदर से सुंदर जगह पर ले जाकर छोड़ दो वो वहां पर भी जाकर दुखी ही रहेगा। वही जिसका मन शांत है, उसके बाहर चाहे जो कुछ भी हो रहा हो चाहे उसके आस पास में सब कुछ तहस-नहस हो रहा हो लेकिन वह अंदर से बिल्कुल शांत रहेगा और यही है शांति का असली मतलब।
🔷 मुश्किलों से कैसे निपटना है?🔷
एक बार एक लड़की ने एक एंट्रेंस एग्जाम को क्रैक करने की बहुत कोशिश करी, बहुत मेहनत करी लेकिन उसके बाद भी वह उस एग्जाम को क्रैक नहीं कर पाई। जिसकी वजह से वह अंदर से पूरी तरह टूट गई, बहुत परेशान रहने लगी, दुखी रहने लगी। उसके पिता से अपनी बेटी की यह हालत देखी नहीं गई फिर उसके पिता ने एक दिन अपनी बेटी को बुलाया और उससे कहा कि तुम मेरे साथ किचन में चलो। मुझे तुम्हें कुछ दिखाना है। किचन में पहले से ही उन्होंने गैस चूल्हे के ऊपर 3 पतीले रखे हुए थेे। लड़की के पिता ने उन तीनों पतीले के अंदर पानी भराा। एक के अंदर आलू डालें, एक के अंदर अंडा और एक के अंदर कॉफी के दाने और उन्होंने, उसे कुछ देर तक उबालने दिया। तब तक बाप और बेटी उस कीचन में खड़े होकर, पतियों को देखते रहे। कुछ देर बाद, बेटी अपने पापा से पूछती है कि पापा आप यह क्या कर रहे हैं तो उसके पिता बोलते हैं, बस कुछ देर और रुको तुम्हें सब समझ में आ जाएगा। थोड़ी देर बाद उन्होंने एक-एक करके गैस चूल्हे को बंद कर दिया और पहले पतीले में से आलू निकाल कर एक प्लेट में रख दिए। दूसरे पतीले में से अंडे निकाले और निकाल कर दूसरी प्लेट में रख दिए और तीसरे पतीले में सिर्फ कॉफी को छानकर एक कप में भर दिया और वही टेबल पर रख दिया और अपनी बेटी से पूछा कि तुम्हें क्या दिख रहा हैै?
उसकी बेटी ने जवाब दिया, इसमें देखना क्या है? एक प्लेट में आलू है, एक में अंडे है और एक में काफ़ी है तो उसके पिता ने कहा कि एक बार इनको छू कर देखो, शायद तुम्हें कुछ समझ आ जाए। लड़की ने सबसे पहले आलू को छुआ और उसे थोड़ा दबाया तो वह बिल्कुल मुलायम हो चुके थेे। उसके बाद उसके पिता ने जब अंडों को तोड़ा तो वे ठोस (solid) हो चुके थे और फिर उसके पिता ने कॉफी वाला कब उठाया और अपनी बेटी को कहा कि एक बार इसे सूंघ कर देखो, जब बेटी ने उस कॉफी को सूंघा तो उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। पिता ने अपनी बेटी से कहा कि तुमने देखा- यहां पर क्या हुआ? तीनों ही एक ही अवस्था में गए लेकिन तीनों ने अलग-अलग रूप लिया। पहला यानी के आलू पानी में डालने से पहले बहुत ठोस थे लेकिन गर्म पानी में जाने के बाद वे अंदर से बिल्कुल नरम हो गया यानी कि कमजोर हो गए। दूसरे अंडे जो पानी में जाने से पहले बिल्कुल ही कमजोर थे लेकिन वे पानी में जाने के बाद, वे अंदर से ठोस हो गए। तीसरी कॉफी जो कुछ ऐसा किया जो इन दोनों से बिल्कुल अलग था यानी कि कॉफी पानी में जाने के बाद खुद को नहीं बदला बल्कि उस पानी को ही बदल दिया।
बिल्कुल इसी तरह से हमारी जिंदगी में भी होता हैै। अब यह तुम्हारे ऊपर है कि तुमको इन तीनों में से क्या बनना है? पहला आलू के जैसा यानी कि जब तुम्हारी जिंदगी में कोई मुश्किल या परेशानी आए तो तुम अंदर से बिल्कुल टूट जाओ यानी के कमजोर पड़ जाओ। दूसरा अंडे के जैसा अंडे के जैसा यानी जैसे ही तुम्हारी जिंदगी में कोई मुश्किल या परेशानी आए तो वे तुम्हें अंदर से तोड़े नहीं बल्कि अंदर से और मजबूत बना दे या फिर तीसरी कॉफी के जैसा यानी कि जब तुम्हारी जिंदगी में कुछ मुश्किलें आएं तो तुम ना सिर्फ उन मुश्किलों का डटकर के सामना करो बल्कि तुम अपनी जिंदगी को ही बदल डालो।
धन्यवाद!
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