Short motivational stories in hindi- इंसान और जानवर में फ़र्क।

 
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🔷इंसान और जानवर में फ़र्क 🔷

एक बार की बात है, कुछ वैज्ञानिकों ने मिल कर बहुत गज़ब का प्रयोग किया। उन्होंने एक बहुत बड़ा सा पिंजरा लिया और उसमे एक साथ पांच बंदरों को रख दिया और उस पिंचरे में एक सीढ़ी लगा दी  और सीढ़ी के सबसे ऊपर कुछ केले रख दिए। अब जैसे ही कोई बंदर उन केलों के लिए सीढ़ी पर चढ़ता तो वैज्ञानिकों ने ऊपर से ठंडे पानी की बारिश करने लग जाते, जैसे बंदर के ऊपर ठंडा पानी गिरता तो वो बंदर जल्दी से सीढ़ी से नीचे उतर जाता। बंदर जैसे ही सीढ़ी से नीचे उतरता तो पानी बंद हो जाता, अब जैसे ही दूसरा बंदर सीढ़ी पर चढ़ता, उन केलों के लिए तो फिर दोबारा से यही होता, वैज्ञानिक ठंडा पानी डालते और बंदर जैसे ही सीढ़ी से नीचे उतरता पानी गिरना बंद हो जाता तो बंदरों ने इसका मतलब यह निकाला की जैसे ही कोई सीढ़ी पर चढ़ता है तो ठंडा पानी गिरता हैै। 



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अब जैसे ही कोई भी बंदर उस सीढ़ी पर चढ़ने की कोशिश भी करता है तो सभी बंदर मिल कर उस बंदर को रोकने लगते है, मारने लगते है फिर दोबारा कोई बंदर कोशिश करता तो सभी बंदर मिल कर उसके साथ भी वैसा ही करते। फिर वैज्ञानिकों ने उन पांच बंदरों में से एक बंदर को निकाला और उसके जगह एक नए बंदर को उसके जगह डाल दिया। चूंकि, बंदर उस पिंजरे में नया था इसलिए उसे ये पता नहीं था की यहां क्या चल रहा है तो जैसे ही उस नए बंदर को केला दिखा तो वो सीढ़ी पर चढ़ने लगा लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने ठंडा पानी की बारिश नहीं किया लेकिन बाकी के जो बंदर थे, उस नए बंदर को नीचे उतारा और उसको मारने पीटने लगेे। इस नए बंदर को समझ नहीं आया की मुझे क्यों मारा जा रहा है तो इसने फिर से कोशिश की जैसे ही उसने कोशिश की फिर से उन बंदरों ने वही किया तो अब इस नए बंदर के दिमाग में ये बैठ गया की सीढ़ी पर चढ़ना मना है अगर सीढ़ी पर चड़ेंघे तो मार पड़ेगी। 


सीढ़ी पर चढ़ना क्यों मना है और क्यों मार पड़ती है? ये उस बंदर को नहीं पता हैै लेकिन उसके दिमाग में ये बैठ गया की इस पर न चढ़ना है और न किसी को चढ़ने देना है फिर वैज्ञानिकों ने जो पुराने चार बंदर थे, उनमें से एक बंदर को निकाला और उसके जगह दूसरे नए बंदर को पिंजरे में डाल दिया। अब इस नए बंदर ने भी वही किया जो इससे पहले वाले बंदर ने किया था। वो भी भागता हुआ गया, सीढ़ी के ऊपर केला लेने के लिए और उसको भी उन चार बंदरों ने मारा, पीटा और नीचे गिरा दिया तो अब इस बंदर के दिमाग भी यही बैठ गया की सीढ़ी पर चढ़ना मना है, न सीढ़ी पर चढ़ना है और न किसी को चढ़ने देना है। अब वैज्ञानिकों ने एक एक कर के उन तीन बंदरों को निकाला और उसके जगह पर तीन नए बंदर आ गए। 



अब ये पांचों बंदर नए थे लेकिन इनमें से किसी को भी ये नहीं पता था की उस सीढ़ी पर चढ़ना क्यों मना है? उन सबके दिमाग में ये बैठ गया था कि सीढ़ी पर चढ़ना मना है और इस सीढ़ी पर चढ़ने से मार पड़ती है। जबकि अब कोई ठंडे पानी की बारिश भी नहीं हो रही थी वे चाहते तो सीढ़ी पर चढ़ते केले लेते और आराम से आपस में बांटकर कर खा लेते। 

बिल्कुल ऐसा ही हम इंसानों के साथ भी होता है हजारों साल पहले कोई प्रथा बनी होती है, कोई रीति रिवाज बना होता है, जिसके पीछे कोई ना कोई वजह होती है लेकिन वह वजह खत्म होने के बाद भी वो प्रथा चलती रहती है, वे रीति रिवाज चलते ही रहते है। किसी में ये हिम्मत नहीं होती है, ये पूछने की हम क्या कर रहे? क्यों कर रहे है? बस सबको ये पता होता है की ऐसा ही होता है।  वे जो वाज्ञानिकों ने बंदरों का प्रयोग किया।l, वो तो बेचारे बंदर है, जानवर है। उनको नहीं पता है की क्या पूछना है? क्या करना है? लेकिन अगर हम इंसान होने के बाद भी सवाल न करे तो हमारे और जानवरों में क्या फर्क है?
धन्यवाद!

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