Short moral stories in hindi- जिंदगी बदलने वाली 3 नैतिक कहानियां।

**ईश्वर हमे वो नहीं देता जो हमे अच्छा लगता है बल्कि ईश्वर हमे वो देता है जो हमारे लिए अच्छा होता है**

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कभी कभी जिंदगी में ऐसी परेशानियां आ जाति है की कुछ समझ में ही नहीं आता की हमारी जिंदगी में ही इतनी तकलीफें क्यों है और हम ऊपर वाले को कोसने लगते है की ऐसा हमारे साथ ही क्यों होता है? अगर आप भी ऐसा करते है तो ये तीन (moral stories) आपके लिए लाया हुुु, जो आपको हिम्मत देंगी और जिंदगी जीने का नज़रिया बदल कर रख देंगी। 


Short Moral stories:- ईश्वर जो करता है, अच्छे के लिए करता है।

एक वेक्ति की जिंदगी में हमेशा कुछ न कुछ मुसीबतें और परेशानियां आती रहतीं थीं। एक दिन तो उसका दिन इतना खराब गया की वो ऊपर वाले को गुस्सा हो कर कोसने लगा की आज अपने मेरा पूरा दिन खराब कर दिया। मेरा एक भी काम नहीं हुआ। आज के दिन आपने क्यों मेरे साथ ऐसा किया? तो ईश्वर ने उस वेक्ति से पूछा की क्या हुआ, तुम्हारे साथ? मुझे क्यों इतना कोस रहे हों? तो उस वेक्ति ने ईश्वर को सब बताया की मुझे सुबह जल्दी उठना था लेकिन मेरा अलार्म ने बजा, जिसके कारण मैं देर से उठा। उसके बाद जैसे ही मैं अपने ऑफिस जाने के लिए स्कूटर चालू किया तो स्कूटर भी चालू नहीं हुआ। 

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जैसे तैसे मुझे एक रिक्शा मिला, जिससे मैं ऑफिस जा पाया। देर से होने की वजह से मैं ऑफिस में टिफिन लाना भी भूल गया। जब ऑफिस पहुंचा तो ऑफिस की कैंटीन भी बंद थी। फिर मैने खाने के लिए एक सैंडविच लिया लेकिन वो सैंडविच भी खराब निकला। कहीं से मुझे फोन पर एक बहुत अच्छा ऑफर आया लेकिन तभी अचानक से मेरा फोन बंद हो गाय। फिर मैने सोचा की घर पहुंच कर AC चलाकर आराम करूंगा लेकिन जैसे ही मैं घर पहुंचा तो देखा की लाइट ही नहीं थी। फिर उस वेक्ति ने ईश्वर से बोला की मुझे समझ नहीं आ रहा की ये सारी तकलीफें आप मुझे ही क्यों दे रहें है, कोई और आपको नही मिलता? तो ईश्वर उस वेक्ति को बताया की आज सारा दिन तुझ पे मुसीबतें परेशानियां आने वाली थी इसलिए मैने आज तेरा अलार्म बजने नहीं दिया।

 आज तेरा स्कूटर से एक्सीडेंट होने वाला था इसलिए तेरा स्कूटर मैने स्टार्ट नहीं होने दिया और जिस ऑफिस की कैंटीन में तू खाना खाने वाला था, वो खाना खराब हो चुका था। जो तेरे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता था और जो इंसान तुझे ऑफर दे रहा था, वो एक नंबर का घोटालेबाज था, जिसकी वजह से तू परेशानी में पड़ जाता इसीलिए मैं तेरा फोन बंद कर दिया और आज तेरे घर में शॉर्ट सर्किट से आग लगने वाली थी इसीलिए मैंने बिजली ही बंद करवा दी। मैं तुझे परेशान करने के लिए ये सब नहीं किया बल्कि मैने तुझे बचाने के लिए ये सब किया है। जब इस वेक्ति को ये एहसास हुआ की ये सब ईश्वर ने मेरे भलाई के लिए किया तो वो ईश्वर से हाथ जोड़कर माफी मांगने लगा। ईश्वर ने उसे समझाते हुए कहा की मुझ पर विश्वास रख मैं जो भी करता हु भले के लिए ही करता हु।

ऐसा ही कुछ जिंदगी में, हमारे साथ भी होता है। जिसे हम समझ नही पाते और ईश्वर को कोसने लगते है लेकिन भविष्य में हमे पता चलता है की ऐसा हमारे साथ क्यों हुआ? तो इस छोटी सी कहानी से हमें ये सीखने को मिलता है की हमारे जिंदगी में कोई भी परेशानी क्यों न आए, हमे ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए क्योंकि इसमें भी कहीं न कहीं हमारी भलाई छुपी होती है जो आगे चल कर हमे पता चलता है।


Short Moral stories:- जैसी करनी, वैसी भरनी।

एक समय की बात है। एक दिन एक राजा ने अपने तीन मंत्रियों को दरबार में बुलाया और उन तीनो मंत्रियों को आदेश दिया की वे तीनों एक एक थैला ले कर बगीचे में जाए और जो भी अच्छे से अच्छे फल मिले, उन्हें तोड़ कर थैले में भर कर ले आए। वे तीनों मंत्री थैला ले कर अलग अलग बगीचे में चले गए। पहले मंत्री ने कोशिश कि की अच्छे से अच्छे फल राजा के लिए ले कर जाऊं जो मीठे भी हो और स्वस्थवर्धक भी हो। 

दूसरे मंत्री ने सोचा की राजा कौन सा फल की जांच करने वाले है तो उसने कुछ अच्छे फल और कुछ सड़े गले फल उस थैले में भर लिए और तीसरे मंत्री ने सोचा की राजा की नज़र तो सिर्फ भरे हुए थैले पर जायेगी, इस थैले के अंदर क्या है, राजा इसकी जांच थोड़ी ना करने वाले हैं? तो तीसरे मंत्री ने जल्दी जल्दी उस थैले में घांस फूंस और पत्ते भर दिए। तीनो मंत्री अब राजा के दरबार में पहुंचे तो राजा ने बिना थैले की जांच किए ही आदेश दे दिया की इन तीनों मंत्रियों को थैले समेत कारागार में दो महिनों के लिए बंद कर दिया जाए और जो कुछ भी इनके थैले में है उसी को खा कर ये अपना काम चलाएंगे। 


अब उन तीनों मंत्रियों को थैला समेत दो महिनों के लिए कारागार में बंद कर दिया गया। कारागार में खाने पीने के लिए कुछ भी नही था, सिवाए उन फलों के। दो महिनों के बाद, जो पहला मंत्री था। उसके पास मीठे और स्वस्तवर्धक फल थे इसलिए वो मजे से खाता रहा और वो बिलकुल चुस्त दुरुस्त था। जो दूसरा मंत्री था उसके पास कुछ अच्छे फल थे और कुछ सड़े गले फल थे जिसके कारण वो बहुत बीमार हो कर कारागार से निकला लेकिन जो तीसरा मंत्री था उसके पास खाने के लिए सिर्फ घांस फूंस और पत्ते थे, जिसकी वजह से वो उन दो महिनों के कैद में मर गया।

ऐसा ही कुछ हमारी जिंदगी में भी होता है। ये जो फल है, ये हमारे कर्म है और जो कारागार है, ये हमारा बुरा वक्त हैै। हम अपनी जिंदगी में जो भी कर्म करते है अच्छे या बुरे आगे चल कर हमे वैसे ही कर्मों का फल मिलता हैै। जिस मंत्री ने जैसा कर्म किया, उसको वैसा फल मिला।

Short moral stories:- निस्वार्थ प्रेम।

एक समय की बात है। एक बार एक ग्वलन सबको नाप तोल कर दूध दे रही थी लेकिन एक नौजवान लड़की को वह ग्वालन बिना नाप तोल किए ही दूध से उसका बर्तन भर दिया। वही थोड़ी दूर पर एक महात्मा ईश्वर का नाम लेकर माला जप रहे थे। तभी उसकी नजर उस ग्वालान पर पड़ी जो सबको तो नाप तोल कर दूध दे रही थी लेकिन इस नवजवान युवक को बिना नाप तोल किए ही उसका बर्तन भर दिया तभी साधु ने पास ही में बैठे एक वेक्ति से इसका कारण पूछा तो उस वेक्ति ने बताया की वो ग्वालन उस नौजवान युवक से प्रेम करती है इसलिए उसने बिना नापे ही उसे दूध दे दिया।  ये बात महात्मा के दिल को छू गई की एक दूध बेचने वाली ग्वालां जिससे प्रेम करती है तो उसका हिसाब नही रखती और एक मैं हूं जिस ईश्वर से प्रेम करता हु, उसका नाम माला में गिन गिन कर लेता हु। मुझसे तो अच्छी वो ग्वालन है।

ये कहानी भी हमारी जिंदगी से जुड़ी हुई हैै। हम जिससे प्रेम करते है, उसके साथ हिसाब किताब नहीं रखना चाहिए क्योंकि जहां हिसाब किताब होता है, वहा प्रेम नही होता और जहां प्रेम होता है, वहा हिसाब किताब नहीं होता। आज के इस कलयुग में लोग प्रेम भी हिसाब किताब से करते है अगर वो मेरे लिए किया है तो ही मैं करूंगा नहीं किया तो नही करूंगा। ऐसे प्रेम को प्रेम नहीं व्यापार कहते है।

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