**बिना मकसद की जिंदगी, उस कोरे लिफाफे की तरह होती है; जिस पर अगर पता ना लिखा हो तो वह कहीं नहीं पहुंचता।।**
Short Motivational story:- ये कहानी उनके लिए जिनको अपना लक्ष्य नहीं मालूम।
ये कहानी एक गांव के मुखिया जी की है, जिन्हें लोग बुद्धिमान मानते थे, ज्ञानी मानते थे। बहुत दूर-दूर से लोग समस्याओं का समाधान लेने के लिए आते थे लेकिन मुखिया जी का अपना बेटा, उनकी इज्जत नहीं करता था। मुखिया जी ने अपने बेटे को बहुत समझाया कि बेटा, काम धंधे पर ध्यान दो लेकिन बेटा को सिर्फ पैसे उड़ाने से मतलब था। उसे जिंदगी से कोई लेना-देना नहीं था। मुखिया जी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें तो उन्हें याद आया की बहुत पहले जंगल में जाकर एक पहाड़ पर खज़ना गाड़ दिया था। तो मुखिया जी ने उस खजाने को मंगवाने की सोची। मुखिया जी ने अपने बेटे को बुलाया है और कहां कि देखो यह तुम्हें जो बैग दे रहा हूं इसमें कुछ सामान है इसे लो और यात्रा पर निकल जाओ।
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जब लड़के ने उस बैग में देखा तो उसमें 4 जोड़ी कपड़े थे, एक टॉर्च थी, कुछ खाने पीने के सामान था, कुछ पैसे थे और साथ में एक नक्शा था। उस खजाने तक पहुंचने का नक्शा। मुखिया जी ने अपने बेटे को सारी बात बता दिया। लड़के को जिंदगी में पहली बार लगा कि पिताजी ने कुछ काम किया है और अपने पिताजी के पैर छूकर वह निकल गया खज़ने की ख़ोज मेंं, उस लड़के को एक लक्ष्य मिल गया था की खजाना लेकर ही आना है। यात्रा बहुत लंबी थी। मौसम बदलते रहे, लड़का चलता रहा। कब दिन हफ्तों में, हफ्ते महीनों में बदल गए उसे पता नहीं चला। यात्रा में तरह तरह लोगों से उसका सामना हुआ। कुछ लोगों ने उसे लूटने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने उसे धोखा देने की कोशिश की तो कुछ ने मदद करने की कोशिश की दुनियादारी क्या होती है? यह उसे समझ में आने लगा था। आंधी तूफान सब का सामना करते हुए आखिरकार लड़का खजाने तक पहुंच गया।
उस नक्शे के मुताबिक पहाड़ की चोटी पर एक पेड़ था। उस पेड़ के नीचे खजाना था। लड़के ने जमीन खोदना शुरू किया लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। लड़का तीन चार दिन वहां रहा हर पेड़ के नीचे खजाना ढूंढने की कोशिश की लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। अब उसे समझ आ गया था की उसके पिताजी ने उसे बेवकूफ बना दिया है, इतना दूर भेज करकेे। अब लड़के ने पहाड़ उतरना शुरू किया वापस घर जाने के लिए उसके पास में पैसे खत्म हो चुके थे। उसका दिमाग खराब होने लगा था। वो सोचने लगा की इस यात्रा का मतलब कुछ नहीं निकला। अब वो पहाड़ से घर जाने के लिए नीचे उतरने लगा। जब वो नीचे उतर रहा था तो शाम का समय था, सूर्यास्त होने वाला था, सूरज की हल्की सी लालिमा थी, पेड़ चमक रहे थे। वो एक सुहाना नजारा था। ये सुहाना नजारा देख कर पहली बार उस लड़के को प्रकृति से प्यार हो गया।
जब लड़का घर वापस आ रहा था तो मौसम बदल रहे थे और ये लड़का भी अंदर से धीरे धीरे बदल रहा था क्योंकि इसको हर वो चीज में मजा आ रहा था, जो इस प्रकृति में थी। जब लड़का घर पहुंचा तो उसके पिता ने उसे गले लगा लिया और लड़के से पूछा की कैसी रही यात्रा? खज़ाना मिला या नहींं? तो लड़के ने जवाब दिया की पिता जी वहां तो ऐसा कुछ भी नहीं था तभी उसके पिता ने कहा की बेटा वहां पर कोई खज़ाना नहीं था। मैने तो तुम्हे ऐसे ही भेज दिया था तो उस लड़के ने पूछा की क्यों भेजा? तो पिता ने जवाब दिया की क्यों भेजा था वो बाद में बताऊंगा। पहले ये बताओ की यात्रा कैसी रही? तो लड़के ने कहा की जब मैं जा रहा था तो मेरे सामने एक लक्ष्य था और उसी लक्ष्य को पाने के लिए मैं बस चला जा रहा था। मुझे पता ही नहीं था की क्या हो रहा है, मेरे आस पास? लेकिन जब मैं वापस आ रहा था तो हर उस मौसम को जीते हुए आया, लोगों से मिलते हुए आया और दुनियादारी को समझते हुए आया। जीने का मौका तो मुझे वापस आते वक्त मिला। जब लड़के ने ये बात कही तो उसके पिता ने कहा की बेटा बस यही जिंदगी का असली मकसद है। जिंदगी में लक्ष्य होना अच्छी बात है लेकिन लक्ष्य तक की जो यात्रा है उसे जीना सबसे जरूरी बात है।
आपकी भी जिंदगी में कोई लक्ष्य होगा, जिसे आप पाने के लिए मेहनत कर रहे हैै। अच्छी बात है, लेकिन इस यात्रा को जीना, इसको महसूस करना मत भूलना क्योंकि ये जो छोटे छोटे पल है इन्हे मिला कर के ही जिंदगी बनती है।
धन्यवाद!
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